EDLI ईपीएफओ की ओर से कर्मचारी को दिया जाने वाला मुफ्त बीमा है. यदि किसी कारणवश ईपीएफओ सदस्य की नौकरी के दौरान मौत हो जाए, तो उसके परिवार को आर्थिक मदद देने के उद्देश्य से इसे चलाया जाता है.
अगर आप नौकरीपेशा हैं और आपकी सैलरी का एक निश्चित अमाउंट हर महीने EPFO में जमा होता है, तो आपको ईपीएफओ की ईडीएलआई स्कीम (Employees Deposit Linked Insurance-EDLI) के बारे में जरूर पता होगा. ये स्कीम ईपीएफओ की ओर से चलाई जाती है. यदि ईपीएफओ मेंबर की नौकरी पीरियड के दौरान किसी कारण मौत हो जाती है तो इस इंश्योरेंस स्कीम के तहत परिवार को 7 लाख रुपए तक की मदद मिलती है. आमतौर पर लोगों को इस स्कीम के बारे में तो जानकारी होती है, लेकिन Form-5IF के बारे में पता नहीं होता. ये वो फॉर्म है जिसके जरिए EDLI के तहत मिलने वाली रकम को क्लेम किया जाता है. जानिए इस फॉर्म से जुड़ी खास बातें-
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ये लोग क्लेम कर सकते हैं EDLI की रकम
यदि EPF सब्सक्राइबर की असमय मौत हो जाती है तो उसके नॉमिनी या कानूनी उत्तराधिकारी इंश्योरेंस कवर के लिए क्लेम कर सकते हैं. इसके लिए नॉमिनी की उम्र कम से कम 18 साल होनी चाहिए. इससे कम होने पर उसकी तरफ से अभिभावक क्लेम कर सकते हैं.
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ऑफलाइन भरा जाता है Form-5IF
Form-5IF को ऑफलाइन भरा जाता है. ईपीएफओ मेंबर की मृत्यु की स्थिति में जो भी फायदे नॉमिनी को मिलने होते हैं, उनके क्लेम के अटेस्टेशन के बाद क्षेत्रीय ईपीएफ कमिश्नर के ऑफिस में इस फॉर्म को जमा करना होता है. इस फॉर्म में मृत सदस्य के बारे में जानकारी मांगी जाती है, साथ ही दावेदार से जुड़ी तमाम जानकारियां दर्ज की जाती हैं. इस दौरान फॉर्म के साथ कुछ जरूरी दस्तावेज भी जमा करने होते हैं जैसे ईपीएफओ मेंबर का मृत्यु प्रमाणपत्र, सक्सेशन सर्टिफिकेट और कैंसिल चेक आदि. अगर दावा माइनर के अभिभावक की ओर से किया जा रहा है तो गार्जियनशिप सर्टिफिकेट देना पड़ता है.
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फॉर्म को कराना होता है वेरिफाई
इस फॉर्म को भरने के बाद दावेदार को इसे उस नियोक्ता/ कंपनी जहां ईपीएफओ सदस्य अपनी मृत्यु के समय तक नौकरी कर रहा था, वहां से वेरिफाई कराना होता है, इसके बाद ये जमा होता है. ऐसी स्थिति भी आ सकती है जब कंपनी बंद हो जाती है, तो इस स्थिति में आप इसे यहां बताए जा रहे अधिकारियों से वेरिफाई करवाकर जमा करा सकते हैं-
- मजिस्ट्रेट
- गज़ेटेड ऑफिसर
- ग्राम पंचायत के अध्यक्ष जहां संघ बोर्ड नहीं है
- अध्यक्ष / सचिव / नगरपालिका/ जिला स्थानीय बोर्ड के सदस्य
- संसद/ विधानसभा के सदस्य
- सीबीटी/क्षेत्रीय समिति/ ईपीएफ के सदस्य
- उस बैंक का मैनेजर जिसमें आपका बैंक खाता है
- किसी भी मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थान के प्रमुख.