आधुनिक समय में हर कोई सफल होना चाहता है। इसके लिए वह सभी प्रकार के जतन करता है। इसके बावजूद भी कुछ ही लोगों को सफलता मिल पाती है। हालांकि, जीवन में सफल होने के लिए किस्मत और मेहनत दोनों की जरूरत होती है। इन सबके साथ अगर हम वास्तु का विशेष ख्याल रखें तो चीजें आसान हो जाती हैं। कई बार ऐसा देखा जाता है कि घर का निर्माण वास्तु के हिसाब से किया जाता है, लेकिन मुख्य द्वार पर वास्तु का ध्यान नहीं रखा जाता है, जिससे घर की तरक्की रुक जाती है। अगर आपको मुख्य द्वार के वास्तु के बारे में नहीं पता है, तो आइए जानते हैं कि वास्तु के हिसाब से मुख्य दरवाजा कैसा होना चाहिए-
वास्तु के हिसाब से घर के मुख्य दरवाजे पर छाया नहीं पड़नी चाहिए। ऐसे में जब भी घर का निर्माण करें, तो इस बात का ख्याल रखें कि मुख्य दरवाजे के अगल-बगल में कोई पेड़ अथवा पोल न रहे।
– मुख्य दरवाजे से लगनी वाली सीढ़ियों की संख्या विषम होनी चाहिए। इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि घर के दरवाजे से लगने वाली सीढ़ियों की संख्या 3, 5 अथवा 7 रखें।
-गृह प्रवेश के मुख्य दरवाजे के अनुपात में उसकी चौड़ाई आधी रखें। अगर मुख्य द्वार की लंबाई 10 फ़ीट है तो दरवाजे की चौड़ाई 5 फ़ीट ही रखें।
घर की दिशा में ही मेन गेट होना चाहिए। कभी भी विपरीत दिशा में दरवाजे नहीं रखें। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचरण नहीं होता है।
-घर का मेन गेट घर के अन्य सभी कमरों के दरवाजों से ऊंचा होना चाहिए। वास्तु शास्त्र में इसका उल्लेख है कि यह शुभ होता है।
-मुख्य द्वार उत्तर दिशा में रखने से धन का आगमन होता है। मुख्य द्वार पूरब दिशा में रहने से घर में शांति बनी रहती है। जबकि पश्चिम दिशा में मुख्य द्वार रहने से सौभाग्य में वृद्धि होती है।