Russian Presidential Elections 2024: रूसी इतिहास में यह पहला मतदान है जो एक के बजाय तीन दिन तक चलेगा. चुनाव में रूस में पहली बार ऑनलाइन वोटिंग प्रणाली की शुरुआत होगी.
रूस में शुक्रवार को शुरू हुआ राष्ट्रपति चुनाव एक औपचारिकता भर है. शुक्रवार से रविवार तक चलने वाले इस चुनाव में राष्ट्रपति पुतिन को छह और साल का कार्यकाल मिलना लगभग तय है. इससे वह जोसेफ स्टालिन के बाद सबसे लंबे समय तक क्रेमलिन चीफ के तौर पर सेवा देने वाले बन जाएंगे.
पुतिन के राजनीतिक विरोधी या तो जेल में हैं या विदेश में निर्वासित हैं और उनमें से सबसे उग्र विपक्षी नेता एलेक्सी नवलनी की हाल ही रूसी जेल में मौत हो गई. चुनाव में पुतिन के खिलाफ सिर्फ तीन ही लोग खड़े हैं लेकिन उनकी जीत की उम्मीद शायद ही किसी को हो.
ये भी पढ़ें– पाकिस्तान में क्यों है इमरान खान के नाम से दहशत? एक चिट्ठी से मची खलबली…सरकार की हिली कुर्सी
ऑनालाइन वोटिंग पर उठे सवाल
रूसी इतिहास में यह पहला मतदान है जो एक के बजाय तीन दिन तक चलेगा. चुनाव में रूस में पहली बार ऑनलाइन वोटिंग प्रणाली की शुरुआत होगी. 29 क्षेत्रों के मतदाता ऑनलाइन वोटिंग कर सकते हैं. चुनाव के तुरंत बाद परिणाम घोषित किए जाएंगे.
पर्यवेक्षकों ने वोटिंग को तीन दिनों के लिए बढ़ाने और ऑनलाइन मतदान की अनुमति देने की आलोचना करते हुए कहा है कि इस तरह की रणनीति चुनाव की पारदर्शिता में बाधा डालती है.
मतदान देश के 11 ‘टाइम जोन’ (समय क्षेत्र) के साथ ही यूक्रेन के अवैध रूप से कब्जाए क्षेत्रों में मतदान केंद्रों पर भी होगा. यूक्रेन और पश्चिमी देशों ने उन यूक्रेनी क्षेत्रों में मतदान कराने के लिए रूस की निंदा की है जिन पर मॉस्को की सेनाओं ने कब्जा कर लिया है.
रूस में कुल 112.3 मिलियन लोगों को चुनाव में वोट डालने का अधिकार है. विदेश में अतिरिक्त 1.9 मिलियन लोग और बैकोनूर में 12,000 लोग, जो कजाकिस्तान में रूस द्वारा किराए पर लिया गया एक कॉस्मोड्रोम है, भी मतदान करने के पात्र हैं. 2018 के चुनाव में 67.5% वोटिंग हुई थी.
ये भी पढ़ें– Nepal News: क्या नेपाल फिर बनेगा हिंदू राष्ट्र और राजा ज्ञानेन्द्र सम्भालेंगे सिंहासन, 16 साल बाद उठी लहर
1999 के आखिर दिन बने थे कार्यवाहक राष्ट्रपति
पुतिन, जो 71 वर्ष के हैं और केजीबी के पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल हैं, को 1999 के आखिरी दिन बोरिस येलस्टिन द्वारा कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया गया था.
इसके बाद वह 2000-2008 तक (दो चार-वर्षीय कार्यकाल) राष्ट्रपति पर रहे. 2008-12 से वह प्रधान मंत्री रहे जब दिमित्री मेदवेदेव राष्ट्रपति थे. इसके बाद वह 2012 में और फिर 2018 में राष्ट्रपति पद पर बने रहे. उन्होंने बढ़ते वोट शेयर के साथ पिछले चार राष्ट्रपति चुनाव जीते हैं: 2000 में 53%, 2004 में 71%, 2012 में 63.6% और 2018 में 76.7%.
ये भी पढ़ें– आरक्षित सीट से इनकार के बाद अब उच्चतम न्यायालय का रुख करेगी इमरान खान की पार्टी
2036 तक सत्ता में रहेंगे पुतिन?
पुतिन ने स्टालिन के बाद किसी भी अन्य रूसी शासक की तुलना में अधिक समय तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया है, यहां तक कि सोवियत नेता लियोनिद ब्रेझनेव के 18 साल के कार्यकाल को भी पीछे छोड़ दिया है. वह फिलहाल इस पद को छोड़ने के लिए तैयार भी नहीं दिखते हैं.
1993 के रूसी संविधान को उस समय पश्चिम में कुछ लोगों ने एक सकारात्मक विकास के रूप में देखा था. इन लोगों को उम्मीद थी कि यह संविधान सोवियत संघ के विभाजन के बाद रूस में लोकतंत्र को बढ़ावा देगा.
इसमें मूल रूप से यह तय किया गया था कि एक राष्ट्रपति केवल चार साल की लगातार दो अवधि तक ही सेवा दे सकता है. हालांकि, 2008 में संशोधनों ने राष्ट्रपति पद के कार्यकाल को छह साल तक बढ़ा दिया.
2020 में आगे के संशोधनों ने पुतिन के कार्यकाल को 2024 तक संभव बना दिया. इसके अलावा उन्हें 2024 से दो और छह-वर्षीय कार्यकाल की सेवा करने की अनुमति मिल गई. इसका मतलब है कि वह 2036 तक सत्ता में बने रहने की अनुमति देता है. .