नई दिल्ली [रीतिका मिश्रा]। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की 10वीं की टर्म 1 की परीक्षा में समाजशास्त्र के पेपर में गुजरात दंगों से जुड़ा एक सवाल पूछा गया। जिसका ट्विटर पर कई लोगों ने विरोध किया। लोगों ने कहा कि सीबीएसई को ये विवादित सवाल छात्रों से नहीं पूछना चाहिए था। सवाल था कि साल 2002 में गुजरात में मुसलमानों के खिलाफ हुई हिंसा किस सरकार के शासन के दौरान हुई। इसमें चार विकल्प दिए गए थे। पहला कांग्रेस, दूसरा बीजेपी, तीसरा डेमोक्रेटिक और चौथा रिपब्लिकन।
शिक्षाविदों ने बताया कि ये सवाल एनसीईआरटी की 10वीं की समाजशास्त्र की पाठ्यपुस्तक इंडियन सोसाइटी (भारतीय समाज) के अध्याय ‘सांस्कृतिक विविधता की चुनौतियां’ के तहत एक अनुच्छेद से लिया गया है। किताब की पेज संख्या 134 में ‘राष्ट्र-राज्य और धर्म से जुड़े मुद्दे और पहचान’ विषय के अंतर्गत दिए गए एक अनुच्छेद में सांप्रदायिकता को विस्तार से बताया गया है।
इसमें कहा गया है कि कोई भी क्षेत्र किसी न किसी तरह की सांप्रदायिक हिंसा से पूरी तरह मुक्त नहीं रहा है। प्रत्येक धार्मिक समुदाय ने इस हिंसा का अधिक या कम मात्रा में सामना किया है, हालांकि आनुपातिक प्रभाव अल्पसंख्यक समुदायों के लिए कहीं अधिक दर्दनाक है।
इस अनुच्छेद में सांप्रदायिक हिंसा के दो समकालीन उदाहरण दिए गए हैं, जो दो प्रमुख राजनीतिक दलों के अधीन घटित हुए हैं। इसमें साल 1984 में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान दिल्ली में हुए सिख विरोधी दंगे और साल 2002 में गुजरात में भाजपा सरकार के कार्यकाल में हुए मुस्लिम विरोधी दंगे शामिल हैं।
सीबीएसई ने एक आधिकारिक बयान जारी कर भले ही कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए। लेकिन बोर्ड से जुड़े सूत्रों ने कहा कि ये सवाल तथ्यों पर ही आधारित पूछा गया था और ये एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में शामिल भी है। हालांकि, सवाल को पूछे जाने का तरीका गलत है। क्योंकि सीबीएसई प्रश्न पत्र में ऐसे सवालों को रखने से मना करती है जिससे कि किसी धर्म, जाति या समुदाय की भावना को ठेस पहुंचे।
बोर्ड से जुड़े सूत्रों ने कहा कि मामले को संज्ञान में लिया गया है और जल्द ही कार्रवाई भी की जाएगी। वहीं, पाठ्यक्रम में शामिल किए गए इस पाठ को लेकर राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के एक अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का अनुपालन करते हुए पाठ्यक्रम का दोबारा परीक्षण किया जाएगा।