नंदी महाराज भगवान शंकर के परमभक्त हैं। ऐसा कहा जाता है कि किसी को भी शिव और नंदी के बीच में नहीं खड़ा होना चाहिए क्योंकि वे सदैव शिव जी के ध्यान में लीन रहते हैं। उनकी यह मुद्रा महादेव के प्रति अपार ध्यान और भक्ति का प्रतीक है। वहीं जो लोग भोलेनाथ को प्रसन्न करने की कामना करते हैं उन्हें नंदी जी की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Lord Shiva And Nandi Ji Bond: भगवान शिव सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापी हैं। उनकी पूजा से जीवन का हर सुख पाया जा सकता है। ऐसा कहा जाता है कि देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने के लिए किसी विशेष पूजन सामग्री की नहीं, सिर्फ भाव की आवश्यकता होती है, जितना वे बाहर से कठोर दिखते हैं उनका हृदय उतना ही निर्मल है। वहीं, भगवान शिव के वाहन नंदी महाराज के बिना शिव पूजा अधूरी मानी जाती है।
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ऐसे में इस बात का खास ख्याल रखें शिव पूजन के साथ भोलेनाथ के परमभक्त नंदी जी की पूजा अवश्य करें। इसके अलावा अगर आप नंदी महाराज के भक्त हैं, तो आपको उनसे जुड़ी कुछ आवश्यक बातों को अवश्य जान लेना चाहिए, जो इस प्रकार हैं –
नंदी जी का मुख भगवान शंकर की ओर क्यों होता है ?
यह तो हर किसी ने शिव मंदिर में देखा होगा कि नंदी जी का मुख शिव की ओर होता है। उनकी यह मुद्रा महादेव के प्रति अटूट ध्यान और भक्ति का प्रतीक है। उनका ध्यान सिर्फ उनके आराध्य पर केंद्रित रहता है, जो लोगों को बहुत कुछ सीखने पर मजबूर करता है, खासकर एक भक्त के रूप में।
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भोलेनाथ और नंदी के बीच क्यों नहीं खड़ा होना चाहिए?
ऐसा माना जाता है कि किसी को भी शिव और नंदी के बीच में नहीं खड़ा होना चाहिए, क्योंकि नंदी की नजर शिव जी पर हमेशा टिकी रहती और उनके बीच खड़े होने का मतलब है नंदी को अपने आराध्य के दृष्टिकोण से विचलित करना। भगवान शिव पर नंदी की निरंतर नजर उनके पूर्ण ध्यान और शिव की दिव्य उपस्थिति और आभा का प्रतीक है।
नंदी महाराज हैं महादेव के परमभक्त
भगवान शंकर और नंदी के बीच खड़े होने को लेकर ऐसा कहा जाता है कि नंदी केवल शिव को नहीं देख रहे होते, बल्कि उनपर ध्यान केंद्रित करते हुए ध्यान में लीन होते हैं। इस प्रकार, जब नंदी अपने चेहरे पर शांत भाव के साथ अपने 4 पैरों पर बैठते हैं, तो वह न केवल भगवान शिव की आभा से आश्चर्यचकित होते हैं, बल्कि गहरे ध्यान में भी उन्हें देखते हैं।
इसलिए अगर आप उनके बीच खड़े होते हैं, तो इसका मतलब आप उनका ध्यान भंग कर रहे हैं। इसलिए उनके बीच में नहीं खड़े होने की सलाह दी जाती है।