Punjab Assembly Election 2022:साल 2022 का चुनाव पार्टी के लिए बेहद अहम है. पिछली बार उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था. इस बार पार्टी ने अपने पुरानी सहयोगी बीजेपी से भी नाता तोड़ लिया है. कहा जा रहा है कि ऐसे अहम मौके पर प्रकाश सिंह बादल (Parkash Singh Badal) पार्टी के लिए चुनावी रणनीति तैयार कर रहे हैं. बादल 2020 से कोरोना महामारी के चलते जनता से दूर रहे हैं. लेकिन उन्होंने इस साल अक्टूबर से ही जनसभाओं को संबोधित करना शुरू कर दिया है
चंडीगढ़. अगले साल होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव ( Punjab Assembly Election 2022) में शिरोमणि अकाली दल (SAD) के लिए चुनावी अभियान का नेतृत्व सुखबीर सिंह बादल करेंगे. लेकिन पार्टी अभी भी अपने संरक्षक प्रकाश सिंह बादल (Parkash Singh Badal) पर सबसे ज्यादा भरोसा कर रही है. पार्टी को उम्मीद है कि 94 साल के बादल में अब भी भीड़ जुटाने की क्षमता है. साल 2022 का चुनाव पार्टी के लिए बेहद अहम है. पिछली बार उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था. इस बार पार्टी ने अपने पुरानी सहयोगी बीजेपी से भी नाता तोड़ लिया है. कहा जा रहा है कि ऐसे अहम मौके पर सीनियर बादल पार्टी के लिए चुनावी रणनीति तैयार कर रहे हैं.
अगर उनके बेटे सुखबीर सिंह बादल के ट्वीट को देखें तो ऐसे संकेत मिलते हैं कि प्रकाश सिंह बादल का अब भी पार्टी में बेहद अहम स्थान है. उन्होंने लिखा है, ’90 साल से ज्यादा उम्र में भी वो अब भी मुझे अपने बचपन की तरह उत्साह और ऊर्जा से चकित करते हैं. उनका ज्ञान बेजोड़ है और उनका अनुभव अद्वितीय है. मुझे उसमें पूरा पंजाब दिखाई देता है जबकि वो हम सब में पंजाब देखते हैं. वह सिर्फ मेरे नहीं हैं – प्रकाश पूरे पंजाब के हैं.’
प्रकाश सिंह बादल का करिश्मा!
हालांकि पार्टी ने अभी तक लंबी सीट के लिए आधिकारिक तौर पर उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है. बता दें कि इसी सीट से प्रकाश सिंह बादल 1957 से चुनाव लड़ रहे हैं. सूत्रों ने उनकी दोबारा उम्मीदवारी से इनकार नहीं किया, जो इस बात पर निर्भर करता है कि वह क्या फैसला करेंगे. उन्होंने कहा, ‘वो पार्टी के लिए वोट दिलाने वाले नेता हैं और कैडर पर उनका काफी ज्यादा प्रभाव है.’
सबसे बड़े रणनीतिकार
बादल 2020 से कोरोना महामारी के चलते जनता से दूर रहे हैं. लेकिन उन्होंने इस साल अक्टूबर से ही जनसभाओं को संबोधित करना शुरू कर दिया है. एक नेता ने कहा, ‘ उनकी जनसभा में अच्छी भीड़ आ रही है. ये एक स्पष्ट संकेत है कि भीड़ को आकर्षित करने के लिए उनके पास अभी भी कुछ करिश्मा है.’ खास बात ये है कि टिकट बंटवारे में भी उनकी राय ली जा रही है.
BSP से भी गठजोड़ में भूमिका
सूत्रों ने बताया कि मायावती की बसपा से गठजोड़ में भी सीनियर बादल ने अहम भूमिका निभाई थी. 2017 में SAD के सत्ता से बेदखल होने के बाद, प्रकाश बादल ने अपनी राजनीतिक गतिविधियों को काफी हद तक प्रतिबंधित कर दिया था, लेकिन 2019 के संसदीय चुनावों में वो पार्टी के अभियान में शामिल हो गए.