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उत्तर प्रदेश

IIT Kanpur: बकरी के सीने में धड़केगा आइआइटी का ‘हृदयंत्र’, आर्टिफिशियल दिल की तरह करेगा काम

आइआइटी कानपुर का हृदयंत्र बनकर पूरी तरह तैयार है। इसके जानवरों पर प्रयोग की अनुमति भी वैश्विक संस्था की ओर से मिल चुकी है। अगले दो से तीन महीने में आइआइटी की टीम बकरी के सीने में हृदयंत्र लगाकर पहला प्रयोग करेगी। यंत्र के टेबल टाप वर्जन का पहले ही सफल परीक्षण किया जा चुका है। इसमें हृदयंत्र को शरीर से बाहर रखकर प्रयोग किया गया था।

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जागरण संवाददाता, कानपुर। आइआइटी कानपुर का हृदयंत्र बनकर पूरी तरह तैयार है। इसके जानवरों पर प्रयोग की अनुमति भी वैश्विक संस्था की ओर से मिल चुकी है। अगले दो से तीन महीने में आइआइटी की टीम बकरी के सीने में हृदयंत्र लगाकर पहला प्रयोग करेगी। यंत्र के टेबल टाप वर्जन का पहले ही सफल परीक्षण किया जा चुका है। इसमें हृदयंत्र को शरीर से बाहर रखकर प्रयोग किया गया था।

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आइआइटी निदेशक प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल ने गुरुवार को एक कार्यक्रम में मीडिया से बात करते हुए बताया कि कृत्रिम दिल हृदयंत्र पर काम कर रही आइआइटी की टीम ने बड़ी सफलता प्राप्त कर ली है। हृदयंत्र को तैयार कर अब इसके जानवरों पर प्रयोग की तैयारी है। इससे पहले हृदयंत्र के टेबल टाप वर्जन का सफल प्रयोग हो चुका है। इस उपकरण को जानवरों के शरीर में लगाकर प्रयोग करने की अनुमति मिल चुकी है। अब आइआइटी की टीम जानवरों पर प्रयोग की तैयारी कर रही है।

सबसे पहले बकरी के सीने में धड़केगा ‘हृदयंत्र’

सबसे पहले बकरी के सीने में इसे लगाकर प्रयोग किया जाएगा। उन्होंने बताया कि डिवाइस को तैयार करने का काम पहले ही पूरा हो चुका था लेकिन ऐसे प्रयोगों के लिए वैश्विक अनुमति की जरूरत होती है। इस अनुमति को पाने में समय लगा है।

अब जल्द ही परीक्षण को पूरा किया जाएगा। एनीमल ट्रायल से पहले डिवाइस में किए गए बदलाव आइआइटी के इंजीनियरों की टीम और देश के वरिष्ठ हृदय रोग चिकित्सकों ने कृत्रिम दिल को तैयार किया है।

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इस कृत्रिम हृदय का उद्देश्य शरीर में खून को सही रूप से सभी अंगों तक पहुंचाना है जिस तरह से शरीर में दिल काम करता है। इस डिवाइस को इस तरह से तैयार किया गया है कि यह शरीर के अंदर मौजूद कोशिकाओं के साथ सहज संबंध स्थापित कर सके।

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इसे एक साल पहले जानवरों में प्रयोग के लिए तैयार किया गया था लेकिन प्रयोग करने वाली संस्था ने अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार डिवाइस में कई सारे बदलाव कराए हैं। सभी बदलाव से गुजरने के बाद अब जानवरों पर प्रयोग की हरी झंडी मिली है। पहले सुअर पर प्रयोग का इरादा था लेकिन अब बकरी का चयन किया गया है।

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