Taiwan News: मोदी की जीत पर ताइवान के राष्ट्रपति ने भी बधाई संदेश भेजा. संदेश का शुक्रिया करते हुए मोदी ने रिप्लाई भी किया. बस फिर क्या था. चीन भड़क गया. मामला बढ़ गया. अमेरिका भी इस बहस में कूद गया.
Loksabha Election PM Modi: मदर ऑफ डेमोक्रेसी यानि कि भारत. दुनिया के इस सबसे बड़े लोकतंत्र भारत पर इस समय दुनियाभर की नजर है. लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को जीत मिली है. इसके बाद से ही दुनियाभर के नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई भेज रहे हैं. फोन पर, ट्विटर पर या अन्य आधिकारिक संदेशों के जरिए पीएम मोदी को बधाई मिल रही है. खुद पीएम मोदी भी लगातार इस बात की पुष्टि अपने ट्विटर पर कर रहे हैं और वहीं पर भी कई राष्ट्राध्यक्षों का शुक्रिया कर रहे हैं. इसी बीच एक ऐसा गजब का वाकया हो गया कि चीन को मिर्ची लग गई. वह भी ताइवान के चक्कर में चीन का सिर चकरा गया.
ये भी पढ़ें- चांद पर जहां भारत ने गाड़े थे झंडे, वहां अब क्या करने पहुंचा चीन का ‘चंद्रयान’, किस चीज की है तलाश?
चीन चिढ़ गया.. अमेरिका ने समझा दिया
यह तब हुआ जब मोदी की जीत पर दुनियाभर के अन्य नेताओं की ही तरह ताइवान के राष्ट्रपति ने भी बधाई संदेश भेजा. सोशल मीडिया पर भेजे इस संदेश का शुक्रिया करते हुए मोदी ने रिप्लाई भी किया. मोदी ने लिखा कि वह भी ताइवान के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने के लिए उत्सुक हैं. बस फिर क्या था. चीन भड़क गया. भारत को अपनी वन चाइना पॉलिसी समझाने लगा. मामला बढ़ गया. अमेरिका भी इस बहस में कूद गया.
ये भी पढ़ें- Bird Flu H5N2 Variant: इस देश में हुई बर्ड फ्लू से पहली मौत, WHO ने किया कन्फर्म, जानें इसके कारण, लक्षण और इलाज
क्या बातचीत हुई मोदी और ताइवानी नेता के बीच
असल में चिंग ते लाई पिछले महीने ही ताइवान के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए हैं. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा चुनाव में जीत के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मेरी हार्दिक बधाई. हम तेजी से बढ़ती ताइवान-भारत साझेदारी को बढ़ाने, व्यापार, प्रौद्योगिकी और अन्य क्षेत्रों में अपने सहयोग का विस्तार करने के लिए तत्पर हैं ताकि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और समृद्धि में योगदान दिया जा सके. इस पोस्ट पर मोदी ने रिप्लाई किया. मोदी ने लिखा चिंग ते लाई आपके गर्मजोशी भरे संदेश के लिए धन्यवाद. मैं पारस्परिक रूप से लाभकारी आर्थिक और तकनीकी साझेदारी की दिशा में काम करते हुए और भी घनिष्ठ संबंधों की आशा करता हूं.
ये भी पढ़ें- Pakistan बना संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य, कैसे मिलता है एक देश को ये मौका?
चीन ने आपत्ति में क्या कहा?
इसके बाद चीन ने इस पर आपत्ति जता दी. चीन ने आधिकारिक बयान जारी कर कहा भारत को ताइवान के अधिकारियों की ‘‘राजनीतिक चालों’’ का विरोध करना चाहिए. चीन के मुताबिक ताइवान उसका एक विद्रोही किंतु अभिन्न प्रांत है और इसे चीन के साथ एकीकृत किया जाना चाहिए भले ही इसके लिए बल प्रयोग क्यों न करना पड़े. चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने इन संदेशों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि चीन ने इस पर भारत के समक्ष विरोध दर्ज कराया है.
बहस में अमेरिका ने चीन को समझा दिया..
उधर मामले पर भारत ने तो कोई अन्य प्रतिक्रिया नहीं दी. लेकिन अमेरिका ने चीन को जरूर समझा दिया. एक सवाल के जवाब में चीन की आपत्ति पर अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने कहा कि दो विदेशी नेताओं का एक दूसरे को इस प्रकार के बधाई संदेश देना राजनयिक शिष्टाचार का हिस्सा है. विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मैं कहूंगा कि इस तरह के बधाई संदेश राजनयिक शिष्टाचार का हिस्सा हैं.