चामुंडा नंदिकेश्वर धाम के निकट डाढ़ गांव (Himachal Pradesh News) में सड़क हादसे में एक बच्चे की मौत हो गई जबकि तीन अन्य घायल हो गए। हादसे के दौरान बच्चों के माता-पिता उनके लिए खाना लेने गए थे। घायल हुए बच्चों में दीपक कर्ण कुनाल गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों में दो बच्चों को टांडा अस्पताल रेफर किया गया है।
संवाद सहयोगी, योल। मेला मैदान डाढ़ में सोए हुए अन्य राज्याें के बच्चों पर एक ट्रक के चढ़ने से एक की मौत हो गई जबकि तीन घायल हुए हैं। घायलों में शामिल एक बच्चे की टांगे कट गई हैं। चारों बच्चे एक ही परिवार के सदस्य थे।
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हादसे के बाद ट्रक चालक ट्रक को छो़ड़कर मौक से फरार हो गया। हादसे में अमित कुमार उम्र 9 साल की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई। जबकि दीपक (12) की टांगे कट गई, कर्ण (7) व कुनाल (5) गंभीर रूप से घायल हो गए।
जानकारी के सोमवार रात्रि 10:30 बजे स्थानीय ट्रक चालक रवि कुमार निवासी डाढ अपने ट्रक नंबर एचपी- 36डी- 1815 को लेकर डाढ़ मेला मैदान में पहुंचा।
इस दौरान रात के अंधेरे में उसने ट्रक पीछे करते हुए मेला मैदान में सीमेंट के बनाए गए अस्थाई हैलीपैड़ पर साेए हुए बच्चों पर चढ़ा दिया।
हादसे से पहले बच्चों के स्वजन उनके लिए खाना लेने गए हुए थे। ट्रक के बच्चों पर चढ़ने के बाद उनकी चिल्लाने की आवाजें सुनकर आस-पास के लाेग घरों से बाहर आए और घटना स्थल पर पहुंचे। लेकिन तब तक ट्रक चालक मौके से फरार हो चुका था।
दो बच्चों को टांडा रेफर कर दिया गया है
इस दौरान मानवता का परिचय देते हुए स्थानीय युवकों पंकज कुमार और सोनू कुमार बिना कोई समय गंवाए तीनों घायलाें को गाड़ी में बिठाकर नगरोटा बगवां अस्पताल ले गए, जहां से दो बच्चों को टांडा रेफर कर दिया गया।
इस संदर्भ में स्थानीय पंचायत प्रधान प्रवीण कुमार ने रात को ही पालमपुर पुलिस को सूचना दे दी। उन्होंने बताया कि अन्य राज्य से आए गोपाल और संगीता मूल रूप से गुजरात के रहने वाले हैं और लगभग बीस वर्षो से यहां वहां झुग्गी वगैरा बना कर रह रहे हैं।
वहीं पुलिस थाना प्रभारी पालमपुर सुरिन्द्र कुमार ने बताया कि ट्रक चालक रवि कुमार विरुद्ध मामला दर्ज किया गया है। उन्होने बताया कि मामले की जांच की जा रही है।
स्वजन खाना लेने न गए होते तो बच जाती बच्चे की जान
गोपाल व संगीता काफी समय से यहां के आस-पास के क्षेत्र में छोटा मोटा काम करके अपने चार बच्चों का भरण पोषण कर रहे थे। हालांकि, इस परिवार का कोई स्थाई ठिकाना नहीं था।
सोमवार रात्रि को वह दाेनों अपने चारों बच्चों को सोया छोड़कर उनके लिए खाना लेने गए हुए थे और पीछे से यह हादसा हो गया।
परिवार के सभी सदस्यों का गुजर बसर हंसी खुशी चल रहा था लेकिन शायद भाग्य को कुछ और ही मंजूर था। अगर गोपाल व संगीता रात को अपने बच्चों को सोया हुआ छोड़कर खाना लेने के लिए नहीं गए होते तो शायद वह अपने एक बच्चे को मौत के मुंह में जाने से बचा लेते और उनके अन्य तीनों बच्चे भी घायल नहीं होते ।
पंद्रह मिनट पहले हुई होती बारिश तो भी बच जाती जान
अगर 15 मिनट पहले मेघ बरसते तो शायद अमित कुमार की जान बच सकती थी। स्थानीय लोगों के अनुसार यह हादसा 10:30 बजे के करीब हुआ।
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जबकि बारिश 10 बजकर 45 मिनट पर शुरू हुई। अगर यह बारिश 15 मिनट पहले हो जाती तो गर्मी से बचने के लिए खुले आकाश में साेए बच्चे उठकर किसी दूसरी जगह पर चले जाते।