बिहार सरकार ने महागठबंधन सरकार के दौरान दिए गए 3600 करोड़ मूल्य के ठेकों को कैंसिल कर दिया गया है. ये सभी ठेके ग्रामीण जलापूर्ति के हैं.
बिहार सरकार ने पिछली महागठबंधन सरकार के दौरान जारी 3,600 करोड़ रुपये के ग्रामीण जलापूर्ति कार्यों के ठेके रद्द कर दिए हैं.
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लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री नीरज कुमार सिंह ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा कि यह निर्णय विभाग द्वारा की गई जांच के बाद लिया गया. जांच में पाया गया कि इन निविदाओं को जारी करने में उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया तथा पर्याप्त क्षेत्रों को कवर नहीं किया गया.
उन्होंने कहा, “विभाग ने पिछली महागठबंधन सरकार के दौरान ग्रामीण जलापूर्ति व्यवस्था से जुड़े 3,600 करोड़ रुपये के ठेके रद्द कर दिए हैं. इससे पहले हमने पीएचई (लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी) विभाग के 826 करोड़ रुपये के 350 ठेके रद्द किए थे. विभाग ने अब तक पिछली सरकार के दौरान मंजूर किए गए 4,400 करोड़ रुपये से ज्यादा के ठेके रद्द किए हैं.”
सिंह ने कहा, “जांच में पता चला है कि ठेका देने में उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया और पर्याप्त क्षेत्र को कवर नहीं किया गया. अब विभाग जल्द-से-जल्द काम के लिए संशोधित ठेका जारी करेगा.”
उन्होंने कहा कि ये निविदाएं ग्रामीण जलापूर्ति कार्यों से संबंधित थीं, जिनमें हैंडपंप और छोटी जलापूर्ति प्रणालियों की स्थापना भी शामिल थी.
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता ललित यादव पिछली सरकार में पीएचईडी मंत्री थे.
सिंह ने कहा कि पिछली सरकार के दौरान पीएचई विभाग की 4600 करोड़ रुपये की कुल 1,160 निविदाएं जारी की गई थीं. हालांकि, उन्होंने पाई गई अनियमितताओं के बारे में ब्योरा देने से इनकार कर दिया.
उन्होंने कहा, “हमने अब तक राज्य के विभिन्न भागों में 1,500 हैंडपंप लगाए हैं. नए क्षेत्रों में 3,000 और हैंडपंप लगाने की प्रक्रिया जारी है.”
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जनवरी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजद से नाता तोड़ लिया और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राजग में वापस आ गए. राजग के सत्ता में वापस आने के तुरंत बाद सरकार ने राजद मंत्रियों के विभागों में लिए गए सभी फैसलों की समीक्षा का आदेश दिया है.