भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी जांच में पाया है कि कुछ बैंकों में बिना किसी ठीक वजह के बहुत सारे इंटरनल अकाउंट हैं और इनका गलत कामों में इस्तेमाल हो रहा है.
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नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक ने कुछ बैंकों में ‘इंटरनल’ अकाउंट के दुरुपयोग पर फिर चिंता जताई है. आरबीआई के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे ने कहा कि आरबीआई की जांच से पता चला है कि कुछ आंतरिक खाते, जिनका उपयोग बैंक अपने ऑपरेशन के लिए करता है, इनका उपयोग धोखाधड़ी और लोन चुकाने की अवधि बढ़ाने (एवरग्रीनिंग) में किया जा रहा है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों को इंटरनल खातों के दुरुपयोग को लेकर चेतावनी दी है. रिजर्व बैंक ने यह पाया है कि कुछ बैंकों में बिना किसी ठीक वजह के बहुत सारे इंटरनल अकाउंट हैं और इनका गलत कामों में इस्तेमाल हो रहा है.
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बिना वैध कारण खोले गए खाते
आरबीआई ने अपने निरीक्षण में पाया कि कुछ बैंकों ने बिना किसी वैध कारण के लाखों इंटरनल अकाउंट खोले हैं. अब रिजर्व बैंक ने इन बैंकों के सीएफओ को ऐसे अनावश्यक खातों को बंद करने के लिए कहा है. RBI ने बैंकों से सिर्फ जरूरी खातों को ही रखने को कहा है, साथ ही कहा कि बैंक इन अकाउंट्स पर बेहतर नियंत्रण रखें. इन अकाउंट्स की नियमित जांच करें और ऑडिट रिपोर्ट कमेटी को दें.
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ऐसे खातों पर RBI की पैनी नजर
RBI के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे ने बैंकों से कहा कि “पिछले कुछ सालों में इंटरनल अकाउंट के कंट्रोल और मैनेजमेंट पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. इस दौरान हमें कुछ ऐसे बैंक मिले जिनके पास लाखों की संख्या में आंतरिक खाते हैं और इनके होने की कोई स्पष्ट वजह नहीं है.” उन्होंने कहा कि इंटरनल खाते दुरुपयोग की संभावना के चलते काफी जोखिम वाले होते हैं.”
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर ने बैंकों के मुख्य वित्तीय अधिकारियों (CFOs) को निर्देश दिया कि वे इन खातों को घटाएं और केवल जरूरी अकाउंट्स ही रखें. RBI ने बैंकों के साथ-साथ नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (NBFC) को भी चेतावनी दी है. दरअसल रिजर्व बैंक को चिंता है कि कंपनियों के इन जाली खातों (म्यूल अकाउंट) का इस्तेमाल डिजिटल धोखाधड़ी के लिए किया जा रहा है.