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ओल्ड पेंशन स्कीम वापस आएगी या नहीं? वित्त सचिव के इस बयान ने साफ कर दी तस्वीर

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वित्त सचिव ने कहा है कि पुरानी पेंशन व्यवस्था को अब वापस लाना वित्तीय रूप से संभव नहीं होगा. उन्होंने कहा है कि सरकार एनपीएस में ही संशोधन के लिए प्रयासरत है और हितधारकों से लगातार चर्चा कर रही है.

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नई दिल्ली. पुरानी पेंशन व्यवस्था अब वित्तीय रूप से मुमकिन नहीं है. ऐसा कहना है वित्त सचिव टीवी सोमनाथन का. उनका कहना है कि इसे वापस लाना देश के उन नागिरकों के लिए नुकसानदेह होगा, जो सरकारी नौकरी में नहीं हैं. उन्होंने यह भी कहा कि एनपीएस (नई पेंशन प्रणाली) को लेकर कर्मचारी संगठनों और राज्य सरकारों से कुछ सार्थक बातचीत हुई है. सोमनाथन ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में कहा, ‘‘एनपीएस पर बनी समिति का काम अभी पूरा नहीं हुआ है. हमने इस बारे में कर्मचारी संगठनों और राज्य सरकारों से बातचीत की है. इसमें कुछ प्रगति हुई है.’’

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उन्होंने कहा, ‘‘कर्मचारियों की कुछ चिंताएं हैं. पहला, उनका कहना है कि यह नई योजना है. एनपीएस शेयर बाजार से जुड़ा है, हमें उतार-चढ़ाव नहीं चाहिए. उनका कहना है कि यह स्पष्ट हो कि कितनी पेंशन मिलेगी. दूसरा, उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद जो भी पेंशन मिले उसमें महंगाई से निपटने का भी कुछ प्रावधान यानी डीए (महंगाई भत्ता) जैसी कोई व्यवस्था चाहिए. ऐसा नहीं होने पर पेंशन का वास्तविक मूल्य घटता जाएगा. तीसरा, अगर किसी ने पूरी नौकरी यानी 30 साल तक काम नहीं किया है, उसके लिए कुछ न्यूनतम पेंशन तय की जाए. ये ऐसे मामले हैं, जिस पर हमें निर्णय लेना है.’’

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पुरानी पेंशन व्यवस्था मुमकिन नहीं
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन एक बात बिल्कुल साफ है कि पुरानी पेंशन व्यवस्था वित्तीय रूप से मुमकिन नहीं है. पुरानी पेंशन लाना देश के उन नागिरकों के लिए नुकसानदेह होगा, जो सरकारी नौकरी में नहीं हैं.’’ वित्त मंत्रालय ने पिछले साल सरकारी कर्मचारियों के लिए पेंशन योजना की समीक्षा करने और राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली में जरूरत के हिसाब से बदलाव का सुझाव देने के लिए वित्त सचिव की अगुवाई में एक समिति का गठन किया था.

युवाओं को रोजगार पर जोर
सोमनाथन ने कहा कि सरकार देश में युवाओं को रोजगार के काबिल बनाने के मकसद से उन्हें कंपनियों में प्रशिक्षण देने की सुविधा के अलावा 1,000 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) को आधुनिक रूप भी देगी. एक सवाल के जवाब में सोमनाथन ने कहा, ‘‘बजट में महत्वपूर्ण रोजगार पर जोर देना है. एक तरफ जहां वित्तीय सहायता के जरिये रोजगार सृजन पर जोर है…कौशल विकास के तहत हम देश में युवाओं को रोजगार के काबिल बनाने के मकसद से उन्हें कंपनियों में प्रशिक्षण देने की सुविधा के अलावा 1,000 आईटीआई को आधुनिक बनाएंगे.’’ इस बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा, ‘‘कौशल विकास के तहत केंद्र, राज्य और उद्योग के सहयोग से आईटीआई को आधुनिक रूप दिया जाएगा. उद्योग में जो आधुनिक मशीनरी, कामकाज का तरीका है उसे आईटीआई में शामिल किया जाएगा. अच्छे प्रशिक्षकों को भी जोड़ा जाएगा. इसका मकसद बेहतर प्रशिक्षण देना है.’’

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस सप्ताह मंगलवार को पेश बजट में संगठित क्षेत्र में आने वाले नये कामगारों के लिए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के जरिये तीन योजनाओं की घोषणा की. रोजगार को बढ़ावा देने के मकसद से लाई गईं इन योजनाओं के लिए कुल 1.07 लाख करोड़ रुपये का निर्धारण किया गया है. इससे अगले पांच साल में 2.90 लाख लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है. इसके अलावा, एक करोड़ युवाओं को कंपनियों में प्रशिक्षण और 20 लाख को आईआईटी में प्रशिक्षण देने की भी घोषणा की गयी है.

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