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धरती पर आने वाली है भयंकर तबाही! हजारों साल से खड़ा पिरामिड अचानक ढहा, लोगों को सताया डर

pyramid collapse: मेक्सिको में 2 पुराने पिरामिडों में एक के कुछ हिस्से के ढहने के बाद स्थानीय कबीले ने आने वाले वक्त में एक महाविनाश की चेतावनी दी है. इस कबीले का कहना है कि पिरामिड का ढहना एक बड़ा अपशकुन है.

मेक्सिको सिटी. धरती पर एक महाविनाशा की चेतावनी के संकेत दिए गए हैं. मेक्सिको में एक प्राचीन जनजाति के मानव बलि के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले दो पिरामिड के ढहने के बाद ऐसा कहा गया है. बताया गया कि ‘आने वाले विनाश के अलौकिक संकेत’ के रूप में ये पिरामिड ढह गए हैं. ‘न्यूयॉर्क पोस्ट’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक इन पिरामिडों को बनाने वाली स्थानीय जनजाति के वंशजों को डर है कि विनाशकारी तूफानी बारिश के कारण दो जुड़वां पिरामिडों में से टूटे एक पिरामिड के कारण भारी प्राकृतिक आपदा आने वाली है.

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तस्वीरों में दिखाया गया है कि 30 जुलाई को भारी बारिश के बाद पिरामिडों की एक संरचना थोड़ी ढह गई. उसका एक तरफ का हिस्सा बारिश में बह गया. इस पिरामिड को आधुनिक प्यूरपेचा लोगों के पूर्वजों बनाया था, जो एक खूनी जनजाति थी जिसने एज्टेक जनजाति को हराया था. इतिहासकारों का कहना है कि प्राचीन प्यूरपेचा जनजाति ने अपने सबसे महत्वपूर्ण देवता कुरिकवेरी को मानव बलि देने के लिए याकाटा पिरामिड का इस्तेमाल किया था. याकाटा पिरामिड मिचोआकन राज्य के इहुआत्ज़ियो के पुरातात्विक स्थल में पाए जाते हैं.

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प्यूरपेचा जनजाति से संबंध रखने वाले एक शख्स ने कहा कि उनकी पुरानी परंपराओं के मुताबिक तूफान से पिरामिडों को हुआ नुकसान आने वाले विनाश का संकेत दे सकता है. उन्होंने कहा कि यह हमारे पूर्वजों इसे बनाने वालों के लिए एक बुरा शगुन था जो एक विनाश की बड़ी घटना के निकट होने का संकेत देता था. गौरतलब है कि प्यूरपेचा जनजाति ने एज्टेक को हराया और 1519 में स्पेनिश हमले से पहले 400 साल तक मेक्सिको पर राज किया.

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मेक्सिको के इहुआत्ज़ियो पुरातात्विक इलाके पर 900 ईस्वी से पहले एज्टेक और फिर स्पेनिश हमलावरों के आने तक प्यूरपेचा जनजाति का कब्जा था. वहीं मैक्सिकन नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एंथ्रोपोलॉजी एंड हिस्ट्री (INAH) ने बुधवार को एक बयान जारी किया. जिसमें कहा गया कि मंगलवार की रात, इहुआत्ज़ियो पुरातत्व इलाके के पिरामिड आधारों में से एक के दक्षिणी हिस्से का एक भाग ढह गया. यह प्योरपेचा झील के बेसिन में भारी बारिश के कारण हुआ. 30 जुलाई की सुबह से ही कर्मचारी हुए नुकसान का आकलन करने के लिए विरासत स्थल पर चले गए. इसकी मरम्मत करने की कोशिश की जा रही है.

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