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ओडिशा

Odisha News: पुरी रथयात्रा के तीनों रथों को तोड़ने की प्रक्रिया शुरू, 50 हजार से 1.5 लाख रुपये में बिकेगा पहिया

पुरी रथयात्रा में निकाले गए तीनों रथों को तोड़ने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। सबसे पहले देवी सुभद्रा के दर्प दलन रथ को तोड़ना शुरू किया जा चुका है। फिर बलभद्र जी के तालध्वज रथ को तोड़ा जाएगा। आखिर में महाप्रभु जगन्नाथ जी का नंदीघोष रथ तोड़ा दिया जाएगा। इन तीनों रथों को पूरी तरह से तोड़ने के लिए 7 से लेकर 8 दिनों का समय लग सकता है।

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जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। Puri Jagannath Temple पुरी रथयात्रा के तीनों रथों को तोड़ने की प्रक्रिया शुरू हुई है। पहले देवी सुभद्रा के दर्प दलन रथ को तोड़ा जा रहा है। इसके बाद बलभद्र जी के तालध्वज रथ एवं अंत में महाप्रभु जगन्नाथ जी के नंदीघोष रथ को तोड़ा जाएगा।

पुरी जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के निर्देश पर सरदार रवि भोई के नेतृत्व में 10 भोई सेवक रथ तोड़ने के कार्य में नियोजित किए गए हैं। तीनों रथों को तोड़ने में 7 से 8 दिन का समय लगेगा।

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मंदिर के वरिष्ठ सेवक ने क्या बताया?

जगन्नाथ मंदिर के वरिष्ठ सेवक सुदर्शन मेकप ने कहा है कि तीनों रथ की लकड़ी अलग करने के बाद रथ के पहिये गुजा, और प्रभा आदि को गुंडिचा मंदिर में रखा जाएगा। इन लकड़ियों में प्रति दिन दिन तीन क्विंटल लकड़ी महाप्रभु के कोठ भोग बनाने के लिए श्रीमंदिर लाई जाएगी।

रथ के पहियों की कितनी रखी गई कीमत

रथ के कुछ पहिए कुछ मंदिर और मठ को उपहार में दिए जाएंगे, बाकी बिक्री के लिए उपलब्ध होंगे। भगवान जगन्नाथ के रथ के पहियों की कीमत 1.5 लाख रुपये प्रति पीस रखी गई है, जबकि अन्य रथों के पहियों को 50,000 रुपये में बेचा जाएगा।

गौरतलब है कि रथों के निर्माण की प्रक्रिया आधार (पहिए, धुरी आदि) से शुरू होती है जबकि तोड़ने की प्रक्रिया इसके विपरीत ऊपर से शुरू की जाती है। इसी के तहत सबसे पहले रथ के शिखर पर रहने वाले कलश को उतारा जाएगा।

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रथ में लगे घोड़े एवं सारथी एवं पार्श्व देवी देवताओं को रथ से अलग किया जाएगा। रथों के सभी भाग को अलग करने के बाद, भोई सेवक रथों के निर्माण में इस्तेमाल की गई कीलों को जगन्नाथ मंदिर कार्यालय में जमा करेंगे।

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