15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली थी, लेकिन क्या आप जानते कि 15 अगस्त का दिन स्वतंत्रता दिवस के रूप में क्यों चुना गया था. आइए जानते हैं इस दिन का पूरा इतिहास-
Independence Day 2024: भारत की आजादी के दिन, 15 अगस्त को, देश भर में उत्साह और देशभक्ति का माहौल होता है. लोग इस दिन अपनी आजादी का जश्न मनाते हैं और स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि 15 अगस्त को ही क्यों चुना गया. आइए जानते हैं इसके बारे में-
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15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में कैसे चुना?
भारत की आजादी के इतिहास के एक जरूरी पहलू को उजागर करती है. ब्रिटिश शासन के मूल योजना के अनुसार भारत को 30 जून, 1948 को आजाद होना था. लेकिन, नेहरू और जिन्ना के बीच पाकिस्तान के बंटवारे को लेकर पैदा हुए तनाव और सांप्रदायिक दंगों के बढ़ते खतरे ने इस योजना को बदल दिया. जिन्ना के पाकिस्तान को भारत से अलग करने की मांग के कारण लोगों में सांप्रदायिक झगड़े की संभावना काफी हद तक बढ़ने लगी थी, जिसके चलते भारत को 15 अगस्त 1947 को ही आजादी देने का फैसला लिया गया था. लार्ड माउंटबेटन ने 4 जुलाई को 1947 को ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स में इंडियन इंडिपेंडेंस बिल प्रस्तुत किया, जिसे ब्रिटिश संसद में मंजूरी दी गई और बाद में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई.
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15 अगस्त का ही दिन क्यों
यह दिन भारत के आखिरी वायसराय लोर्ड माउण्टबेटन के लिए बेहद खास था. दरअसल 15 अगस्त 1945 को द्वितीय विश्र्व युद्ध के दौरान जापानी आर्मी ने ब्रिटिश सरकार के सामने घुटने टेक दिए थे. जापान के आत्मसमर्पण के कारण 15 अगस्त उनके लिए एक खास दिन था. यहीं कारण था कि माउण्टबेटन ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में चुना.
महात्मा गांधी नहीं हुए थे शामिल
महात्मा गांधी ने आजादी के जश्न में इसलिए भाग नहीं लिया क्योंकि देश में सांप्रदायिक हिंसा व्यापक रूप से फैली हुई थी. वे इस हिंसा से बहुत दुखी थे और मानते थे कि आजादी का जश्न मनाने से पहले देश में शांति स्थापित होना जरूरी है. इसके अलावा गांधी जी भारत के विभाजन के कड़े विरोधी थे. वे चाहते थे कि हिंदू और मुसलमान एक साथ रहें. विभाजन के कारण हुई हिंसा ने उन्हें बहुत आहत किया था.
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ब्रिटिश शासन का अंत
दूसरे विश्व युद्ध के बाद ब्रिटिश साम्राज्य कमजोर पड़ गया था. भारत में भी स्वतंत्रता संग्राम जोरों पर था. महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अहिंसक तरीके से ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी. ब्रिटिश सरकार को भारत को स्वतंत्रता देने के लिए मजबूर होना पड़ा.