Gold Price: सरकार ने सोने के आयात को कम करने और पेपर गोल्ड को बढ़ावा देने के लिए साल 2015 में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम को शुरू किया था. लेकिन अब सरकार की तरफ से इस स्कीम को बंद किया जा सकता है. जानिए क्यों हो रहा ऐसा?
What is Sovereign Gold Bond: अगर आपने भी पिछले कुछ सालों में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम (SGB) में निवेश किया है तो यह खबर आपके काम की है. सरकार आम आदमी को सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) के जरिये सोना की बिक्री करना बंद कर सकती है. सरकार के कुछ लोगों ने कहा है कि ये बॉन्ड बहुत महंगे और समझने में मुश्किल हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार निवेशकों ने 67 किश्तों में 72,274 करोड़ रुपये के एसजीबी खरीदे हैं. इनमें से 4 बॉन्ड पूरी तरह से मैच्योर हो गए हैं और निवेशकों को उनका पैसा वापस मिल गया है. हालांकि सरकार की तरफ से इस बारे में किसी भी प्रकार की आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है.
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आठ साल में निवेशकों को 228 प्रतिशत का मुनाफा
सरकार की तरफ से पेपर गोल्ड के तौर पर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) को साल 2015 में शुरू किया गया था. बॉन्ड एक तरह का कर्ज होता है, जो सरकार या कंपनियां लेती हैं. निवेशकों ने इस योजना में अपना पैसा जमा किया और अब सरकार को उन्हें ज्यादा पैसा वापस करना पड़ेगा. आरबीआई की तरफ से इसको मैनेज किया जाता है. 2015 में जब योजना को शुरू किया गया तो उस समय इश्यू प्राइस 2684 रुपये प्रति ग्राम का था. 2023 में मैच्योरिटी पूरी होने पर इसका रिडम्पशन साइज बढ़कर 6132 रुपये प्रति ग्राम का तय किया गया. निवेशको आठ साल में करीब 228 प्रतिशत का मुनाफा हुआ.
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निवेशकों को 85,000 करोड़ रुपये देना बाकी
सरकार ने जुलाई में पेश किये गए बजट में बताया कि निवेशकों को 85,000 करोड़ रुपये देना बाकी है. यह रकम मार्च 2020 के अंत में बकाया 10,000 करोड़ रुपये से करीब नौ गुनी है. इससे पहले बाजार तैयार दिख रहे थे क्योंकि सोना खरीदने के लिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) की मांग बढ़ गई थी. निवेशक 14 अगस्त तक सरकार की तरफ से तय खरीद- बिक्री की कीमत से 8% तक ज्यादा पैसे देने के लिए तैयार थे. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को बाजार में भी खरीदा-बेचा जा सकता है. आप डीमैट अकाउंट के जरिये बीएसई व एनएसई पर बॉन्ड की खरीद-बिक्री कर सकते हैं. बॉन्ड को बेचकर मुनाफा कमाने पर आपको प्रॉफिट पर कैपिटल गेन टैक्स देना होगा.
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क्या है सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड?
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड एक तरह से सोना खरीदने का विकल्प है, जो कि आरबीआई सरकार की तरफ से जारी करता है. योजना को नवंबर 2015 में शुरू किया गया था ताकि देश में सोना आयात करने पर लगाम लगाई जा सके. ये बॉन्ड सोने के ग्राम के हिसाब से आते हैं और एक ग्राम सोने की कीमत के हिसाब से होते हैं. इन बॉन्ड से मिलने वाला सोना बाजार रेट से सस्ता होता है. इन बॉन्ड को आमतौर पर 8 साल तक रखना होता है. लेकिन आप पांच साल बाद भी इन्हें बेच सकते हैं. कोई भी आदमी गोल्ड बॉन्ड के जरिये कम से कम 1 ग्राम और ज्यादा से ज्यादा 4 किलो सोना खरीद सकता है. वहीं, कोई ट्रस्ट या संस्था हर साल 20 किलो तक सोना खरीद सकती है.