Unified Pension Scheme 2025 : सरकार के खजाने पर बढ़ते दवाब को देखते हुए ओल्ड पेंशन स्कीम को खत्म करके नई पेंशन स्कीम (NPS) को लाया गया था. मगर उसका विरोध होता रहा और अब सरकार ने NPS से बेहतर स्कीम उतारने का दावा किया है, जिसे UPS कहा जा रहा है. चलिए जानते हैं तीनों में क्या फर्क है, और समय के साथ क्या-क्या होता गया.
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नई दिल्ली. रिटायरमेंट के बाद की आर्थिक सुरक्षा के लिए भारत सरकार अब एक नई पेंशन स्कीम लेकर आई है. इस पेंशन स्कीम का नाम यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) है. पहले पुरानी पेंशन योजना (OPS) चलती थी, जिसे सरकार ने बंद किया और नई पेंशन योजना (NPS) लेकर आई. इसका काफी लम्बे समय से विरोध हो रहा था और लोग ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग कर रहे थे. मगर सरकार ओल्ड पेंशन स्कीम तो नहीं लाई, लेकिन एक नई यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) जरूर लॉन्च कर दी.
पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बात करें तो यह योजना पहले से ही सरकारी कर्मचारियों के बीच लोकप्रिय थी, क्योंकि यह अंतिम वेतन के आधार पर सुनिश्चित पेंशन प्रदान करती थी. इस योजना को बदलकर नई पेंशन योजना (NPS) लाई गई, जो 2004 के बाद शामिल हुए कर्मचारियों के लिए अनिवार्य हो गई. NPS में पेंशन की गारंटी नहीं होती, बल्कि इसमें कर्मचारी और नियोक्ता के योगदान से एक कोष बनता है, जिससे रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिलती है. हालांकि, इसमें निवेश के जरिए लाभ की संभावना होती है, लेकिन पेंशन राशि निश्चित नहीं होती.
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अब, UPS सामने आई है. सरकार दावा कर रही है कि इसमें NPS में आ रही तमाम शिकायतों को दूर कर दिया गया है. इस योजना में ओल्ड पेंशन स्कीम की तरह ही सुनिश्चित पेंशन का प्रावधान है, और इसे 2025 से लागू किया जाएगा. UPS में पेंशन की राशि निश्चित होगी, और यह परिवार के लिए भी सुनिश्चित पेंशन का लाभ प्रदान करेगी. साथ ही, इसमें महंगाई के अनुसार पेंशन में समायोजन का प्रावधान भी है. UPS को एक बैलेंस्ड सॉल्यूशन के रूप में देखा जा रहा है. चलिए जानते हैं इन तीनों में क्या-क्या बदलता गया.
यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) पर लगा सरकार का ठप्पा
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शनिवार, 24 अगस्त को यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को मंजूरी दी, जो रिटायरमेंट के बाद एक निश्चित पेंशन की सुविधा प्रदान करेगी. UPS को 1 अप्रैल 2025 से लागू किया जाएगा. यह कदम केंद्र सरकार के कर्मचारियों की लंबे समय से चली आ रही नई पेंशन योजना (NPS) में सुधार की मांग के जवाब में उठाया गया है.
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केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी देते हुए सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “सरकारी कर्मचारियों की NPS में सुधार की मांग रही है… प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पर विचार करने के लिए अप्रैल 2023 में टी वी सोमनाथन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था… व्यापक परामर्श और चर्चाओं के बाद, जिसमें JCM भी शामिल था, समिति ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम की सिफारिश की है. आज केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस योजना को मंजूरी दी है.”
यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) क्या है?
यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) सरकार के कर्मचारियों के लिए नई पेंशन योजना है. इस योजना के तहत कर्मचारियों को एक निश्चित पेंशन का प्रावधान किया जाएगा, जो नई पेंशन योजना (NPS) से अलग है, जिसमें पेंशन की राशि निश्चित नहीं होती थी.
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UPS के पांच मुख्य स्तंभ
1. निश्चित पेंशन (Assured Amount): UPS के तहत, कर्मचारियों की पेंशन उनकी रिटायरमेंट से पहले के अंतिम 12 महीनों के औसत मूल वेतन का 50 प्रतिशत होगी. इसके लिए शर्त यह है कि यदि उन्होंने कम से कम 25 वर्षों की सर्विस की हो. यदि सर्विस 25 साल से कम है और 10 साल से अधिक है तो यह अमाउंट प्रो-डेटा के आधार पर दी जाएगी. (कितने वर्ष पर कितनी होगी, इससे विस्तृत जानकारी का इंतजार है.) न्यूनतम 10 वर्षों की सेवा के लिए पेंशन का प्रावधान रहेगा.
2. निश्चित पारिवारिक पेंशन: UPS के तहत पारिवारिक पेंशन भी दी जाएगी, जो कर्मचारी के मूल वेतन का 60 प्रतिशत होगी. यह पेंशन कर्मचारी की मृत्यु के तुरंत बाद उनके परिवार को दी जाएगी. हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि यदि पहले ही वर्ष किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है तो क्या उसके परिवार को भी इसी आधार पर पेंशन मिलेगी.
3. न्यूनतम पेंशन का प्रावधान: UPS के तहत यदि कोई कर्मचारी कम से कम 10 वर्षों की सेवा के बाद रिटायर होता है, तो उसे न्यूनतम 10,000 रुपये प्रति माह की पेंशन मिलेगी.
4. महंगाई का समायोजन: इस योजना में पेंशन पारिवारिक पेंशन और न्यूनतम पेंशन पर मुद्रास्फीति के अनुसार समायोजन का प्रावधान भी है.
5. ग्रेच्युटी: UPS के तहत रिटायरमेंट के समय एकमुश्त भुगतान किया जाएगा, जो कर्मचारी के अंतिम वेतन (मूल वेतन + महंगाई भत्ता) का 1/10वां हिस्सा होगा. यह भुगतान हर छह महीने की सेवा के लिए होगा और यह पेंशन की राशि को कम नहीं करेगा.
किन्हें होगा UPS का लाभ?
सरकार की तरफ से कहा गया है कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों को यह निर्णय लेने का अधिकार होगा कि वे NPS में बने रहें या UPS में शामिल हों.
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कैबिनेट सचिव टी वी सोमनाथन ने भी कहा, “यह योजना उन सभी पर लागू होगी, जो 2004 के बाद से NPS के तहत रिटायर हो चुके हैं. हालांकि UPS 1 अप्रैल, 2025 से प्रभावी होगी, लेकिन 2004 से लेकर 31 मार्च, 2025 तक NPS के तहत सेवानिवृत्त हुए सभी कर्मचारी UPS के पांचों लाभ के पात्र होंगे. उन्हें पिछले पेंशन भुगतानों के समायोजन के बाद इस योजना का लाभ मिलेगा.”
नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) क्या है?
NPS को जनवरी 2004 में सरकारी कर्मचारियों के लिए एक सरकारी-प्रायोजित रिटायरमेंट योजना के रूप में शुरू किया गया था. बाद में (2009 में) इसे अन्य क्षेत्रों के लिए भी लाया गया. NPS सरकार और पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) द्वारा संयुक्त रूप से संचालित है और इसे रिटायरमेंट के लिए एक लॉन्ग टर्म, स्वैच्छिक निवेश योजना के रूप में डिजाइन किया गया है.
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NPS पेंशन की गारंटी देता है और निवेश से लाभ की संभावना भी बनती है. रिटायरमेंट के बाद एक सब्सक्राइबर अपने जमा किए गए फंड एक हिस्सा निकाल सकता है, जबकि बाकी राशि मासिक आय के रूप में दी जाती है, जिससे रिटायरमेंट के बाद नियमित आय होती है अथवा पेंशन बंध जाती है.
NPS को दो टियरों में विभाजित किया गया है: टियर 1 खाता और टियर 2 खाता. टियर 1 खाते के तहत, निकासी केवल रिटायरमेंट के बाद ही की जा सकती है, जबकि टियर 2 खाते में पहले निकासी की अनुमति होती है. NPS में निवेश करके धारा 80CCD के तहत आयकर में 1.5 लाख रुपये तक की छूट प्राप्त की जा सकती है. NPS की 60 प्रतिशत राशि को निकालना टैक्स-फ्री होता है.
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NPS और पुरानी पेंशन योजना (OPS) में अंतर
NPS ने पुरानी पेंशन योजना (OPS) की जगह ली थी. पुरानी पेंशन योजना कर्मचारी के अंतिम वेतन पर आधारित होती थी, इसलिए इसे परिभाषित लाभ पेंशन प्रणाली (DBPS) भी कहा जाता है. NPS को परिभाषित योगदान पेंशन प्रणाली (DCPS) कहा जाता है, जिसमें नियोक्ता और कर्मचारी रिटायरमेंट के समय पेंशन का निर्माण करने के लिए योगदान करते हैं. एक में लाभ था, दूसरे में योगदान.
OPS के तहत कर्मचारी अपनी रिटायरमेंट के बाद अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में निकाल सकते थे. वहीं, NPS के तहत व्यक्ति अपने फंड का 60 प्रतिशत रिटायरमेंट के समय निकाल सकते हैं, जो टैक्स-फ्री होती है. शेष 40 प्रतिशत को एक वार्षिक प्रोडक्ट में बदल दिया जाता है, जो वर्तमान में व्यक्ति को उनके अंतिम वेतन का 35 प्रतिशत पेंशन के रूप में प्रदान कर सकता है.
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NPS केंद्रीय सरकार की सेवाओं में शामिल होने वाले सभी कर्मचारियों के लिए अनिवार्य है, जिसमें केंद्रीय स्वायत्त निकाय भी शामिल हैं, जो 1 जनवरी, 2004 के बाद शामिल हुए. कई राज्य सरकारों ने भी NPS को अपनाया, जबकि कुछेक ने पुरानी पेंशन योजना को बेहतर बताया.