भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विस सेंटर (IFSC) के माध्यम से विदेशी निवेशकों को सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड बेचने के लिए ग्राउंड रूल्स निर्धारित किए हैं. आरबीआई ने गाइडलाइंस में कहा कि विदेशी बैंकों की IFSC बैंकिंग यूनिट (IBU), जिनकी भारत में कोई ब्रांच या सब्सिडियरी लाइसेंस प्राप्त बैंकिंग नहीं है, सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड में निवेश करने के लिए एलिजिबल होंगे.
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कहा गया है कि RBI ने IFSC के भीतर सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड (SGrB) की ट्रेडिंग और सेटलमेंट के लिए एक नई स्कीम शुरू की है. इस कदम का उद्देश्य विदेशी निवेशकों की भागीदारी को बढ़ाकर ग्रीन बॉन्ड के लिए मार्केट को बड़ा बनाना है. यह स्कीम विशेष रूप से भारत सरकार द्वारा जारी किए गए सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड पर लागू होती है, जिसका IFSC में एलिजिबल निवेशकों द्वारा कारोबार किया जाता है.
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स्कीम को लेकर RBI ने क्या कहा
आरबीआई ने बताया है कि एलिजिबल पार्टिसिपेंट में भारत से बाहर रहने वाले व्यक्ति, विदेशी बैंकों की इंटरनेशन बैंकिंग यूनिट्स (IBUs) और IFSC अथॉरिटी के तहत रेगुलेटेड कुछ फंड या स्कीम शामिल हैं. फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) द्वारा चिह्नित पाई रिस्क ज्यूरिस्डिक्शन की एंटिटी को इस स्कीम में भागीदारी से बाहर रखा गया है.
यह स्कीम निवेशकों को आरबीआई की गाइडलाइन का पालन करते हुए प्राइमरी ऑक्शन और सेकेंडरी मार्केट ट्रांजैक्शन में शामिल होने की अनुमति देती है. निवेशक ऑथराइज्ड क्लियरिंग कॉरपोरेशन के माध्यम से प्राइमरी ऑक्शन में कंपीटीटिव बिड्स लगा सकते हैं, जो एग्रीगेटर के रूप में कार्य करेंगे.
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ट्रांसपेरेंसी सुनिश्चित करने के लिए सिक्योरिटी का सेटलमेंट आरबीआई की निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन करेगा.
आईबीयू प्राथमिक नीलामी में भाग नहीं ले सकते, लेकिन उन्हें अपने पैरेंट बैंकों के साथ “बैक-टू-बैक” व्यवस्था के तहत में व्यापार करने की अनुमति है.