अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विधानसभा में साफ कर दिया कि मुस्लिम समुदाय के लोगों को खुले में नमाज पढ़ने की इजाजत किसी सूरत में नहीं दी जा सकती। गुरुग्राम में खुले में नमाज पढ़ने को लेकर वहां कई बार टकराव के हालात हो चुके हैं। मंगलवार को विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन यह मुद्दा उठा।
शून्यकाल के दौरान नूंह से कांग्रेस विधायक आफताब अहमद ने इस मुद्दे पर सरकार पर धर्म के नाम पर राजनीति करने के आरोप जड़े। उन्होंने कहा कि संविधान में सभी धर्मों के लोगों को पूजा-पाठ, अरदास और नमाज पढ़ने के अधिकार हैं। सभी धर्मों की रक्षा करना मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी है।
विवाद बढ़ता देख सीएम मनोहर लाल ने सदन में कहा कि हमने किसी को पूजा-पाठ और नमाज अदा करने से नहीं रोका। लेकिन खुले में शक्ति प्रदर्शन करना सही नहीं है। पूजा-पाठ, अरदास व नमाज के लिए मंदिर-मस्जिद, गुरुद्वारे व धार्मिक जगह तय हैं। उन्होंने कहा कि गुरुग्राम में खुले में नमाज़ को लेकर कुछ लोग विरोध कर रहे थे। हम भाईचारा और आपसी सौहार्द बनाए रखना चाहते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरुग्राम के डीसी की इस बाबत स्थानीय लोगों से बातचीत चल रही है। वहां पार्क या किसी भी सार्वजनिक जगह को धार्मिक कार्यों के लिए चिह्नित किया जा सकता है। इस पर आफताब अहमद ने कहा कि वक्फ बोर्ड की प्रापर्टी पर लोगों ने अवैध कब्जे किए हुए हैं। सरकार को चाहिए कि इन्हें कब्जा मुक्त करवाया जाए ताकि वहां लोग नमाज़ पढ़ सकें। सीएम ने कहा कि कब्जों की जानकारी सरकार को दें, उन्हें कब्जा मुक्त करवाया जाएगा। तब वहां पर नमाज पढ़ी जा सकती है, लेकिन खुले में वह भी नहीं होगी।
हरियाणा में सह शिक्षा को बढ़ावा देगी सरकार, साथ पढ़ेंगे बेटे-बेटियां
हरियाणा सरकार अब बेटे-बेटियों को साथ पढ़ाने पर फोकस करेगी। भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार ने इस पर काम शुरू कर दिया है। राज्य में को-एजुकेशन (सह शिक्षा) सुविधा वाले ही नए कालेज और स्कूल स्थापित होंगे। केंद्र की 2020 की नई शिक्षा नीति में भी को-एजुकेशन को बढ़ावा देने पर बल दिया गया है। दूसरी ओर, स्कूलों में स्टाफ की कमी को दूर करने के लिए भी सरकार ने भर्ती करने का निर्णय लिया है।मंगलवार को विधानसभा के शीतकालीन सत्र में प्रश्नकाल के दौरान गन्नौर की भाजपा विधायक निर्मला रानी ने यह मुद्दा उठाया।
उन्होंने कहा कि सह-शिक्षा को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। अगर सरकार ऐसा कदम उठाती है तो इससे काफी समस्याएं दूर होंगी। निर्मला रानी ने दलील दी कि बेटियों के अलग स्कूल-कॉलेज होने की वजह से लड़कों में एट्रेक्शन (आकर्षण) रहता है। जब वे साथ पढ़ेंगे तो इस तरह की भावना उनके मन में नहीं आएगी। शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर ने उनकी बात का समर्थन किया।राज्य में वर्तमान में कुल 14 हजार 473 सरकारी स्कूल हैं। इनमें से 1809 स्कूल बेटियों के लिए हैं। गुर्जर ने कहा कि भविष्य में नये कालेज व स्कूल स्थापित होंगे तो वे को-एजुकेशन के ही होंगे। साथ ही, उन्होंने कहा कि कई बार विधायकों, अन्य जनप्रतिनिधियों के अलावा स्थानीय लोगों के दबाव की वजह से बेटियों के लिए स्कूल या कालेज स्थापित करने पड़ते हैं। ऐसे मामलों में सरकार आगे भी किसी तरह का दबाव नहीं बनाएगी।
अगर दबाव आता है तो बेटियों के स्कूल-कालेज भी खुलेंगे।पृथला से निर्दलीय विधायक नयन पाल रावत ने स्कूलों में शिक्षकों तथा तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की कमी को लेकर सवाल किया। शिक्षा मंत्री के जवाब में यह बात सामने आई कि स्कूलों के लिए वर्तमान में कुल एक लाख 37 हजार 895 पद स्वीकृत हैं। वहीं वर्तमान में जरूरत एक लाख 42 हजार 994 पदों की है। इस हिसाब से भी 5099 पद कम हैं। कुल स्वीकत पदों में से भी 46 हजार 459 खाली हैं।
5356 स्कूलों में मुखिया ही नहीं
प्रदेश में 5356 ऐसे सरकारी स्कूल हैं, जिनमें मुखिया ही नहीं है। प्रदेश के 398 सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में प्रिंसिपल नहीं हैं तो 112 स्कूलों में हेड-मास्टर नहीं हैं। इसी तरह से 4846 स्कूलों में हेड-टीचर नहीं हैं। पीजीटी के भी 13 हजार 974 पद खाली हैं। टीजीटी/मौलिक मुख्याध्यापक के 20 हजार 467 पद रिक्त पड़े हैं। सफाई कर्मचारी, स्वीपर, चौकीदार आदि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के कुल स्वीकृत 12 हजार 48 पदों में से आधे से अधिक खाली हैं। मात्र 5746 पदों पर स्टाफ है और 6662 खाली हैं।
कालेज को टेकओवर करे सरकार
समालखा के कांग्रेस विधायक धर्म सिंह छोक्कर ने शून्यकाल के दौरान उनके यहां स्थित गांधी आदर्श कालेज को सरकार द्वारा टेकओवर करने की मांग की। उन्होंने कहा कि इस एडिड कालेज के स्टाफ को पिछले नौ माह से वेतन नहीं मिल रहा। नियमों के तहत 95 प्रतिशत ग्रांट सरकार देती है लेकिन पहले संस्था को 5 प्रतिशत पैसा जमा करवाना होता है। संस्था पांच प्रतिशत पैसा जमा करवाने में भी समक्ष नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार इस कालेज को अपने अधीन ले ताकि कालेज सही से चल सके और स्टाफ को समय पर वेतन मिल सके।