कानपुर (ब्यूरो)। Kalindi Express: कालिंदी एक्सप्रेस हादसे में सुरक्षा एंजेसियों को अहम सुराग हाथ लगे हैं. हादसे के चार दिन बाद बाद एनआईए को वो होटल मिल गया है, जहां पर हादसे को अंजाम देने वाले दहशतगर्द ठहरे थे. इनमें एक मेरठ का शातिर मौलाना है. जबकि दूसरा पश्चिम बंगाल का रहने वाला है. ये दो वहीNIA, संदिग्ध हैं, जो छिबरामऊ के स्वीट हाउस और शिवराजपुर के टोल भी सीसीटीवी कैमरों की फुटेज में दिखे थे. इनकी फुटेज होटल के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज से मैच हो गई हैं. इस आधार पर एनआईए ने अपनी जांच शुरू कर दी है.
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हावड़ा राजधानी का टिकट मिला
दरसअल, एनआईए ने वेडनसडे देर रात ईस्ट जोन के छह होटलों में छापेमारी की. एनआईए सूत्रों की माने तो होटलों के रिसेप्शन और दो रूम के बीच लगे कैमरों से जो तस्वीरें सामने आई हैै, वो छिबरामऊ के स्वीट हाउस और शिवराजपुर के टोल प्लाजा के सीसीटीवी फुटेज से मिलती हुई हैैं. सबसे बड़ी बात ये है कि ये लोग जिस होटल में रुके थे, उसके एक कमरे में हावड़ा से सेंट्रल तक का राजधानी एक्सप्रेस का एक टिकट भी मिला है. इस होटल में दी गई आईडी भी प्रॉपर नहीं है. वारदात वाले दिन सुबह 10 बजे ये लोग होटल से चेक आउट कर निकल गए थे. एनआईए होटल से लेकर मुख्य चौराहे तक की फुटेज चेक कर रही है.
500 कैमरों की फुटेज खंगाली, 50 से ज्यादा लोगों से पूछताछ
हादसे के सुराग तलाशने में लगी टीमें अलग-अलग काम कर रही हैं. 500 से ज्यादा सीसीटीवी फुटेज चेक की गई हैं और 50 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की गई है. अगर एटीएस और एनआईए के सूत्रों की माने तो इसमें लोकल माड्यूल के शामिल होने की बात कही जा रही है. साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि लोकल माड्यूल की मदद के बिना यूपी के बाहर के दहशतगर्द इस तरह की वारदात को अंजाम नहीं दे सकते हैैं. एजेंसियों ने एक बात की पुष्टि की है कि ये कोई लोकल माड्यूल की शरारत नहीं है, बल्कि दूसरे प्रदेश में रची गई साजिश को कानपुर में फाइनल टच दिया गया और उसके बाद इसे लोकल माड्यूल की मदद से अंजाम दिया गया.
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पेशावर में है इस तरह से धमाके की ट्रेनिंग देने का सेंटर
एनआईए सूत्रों ने बताया कि लोकल एक्सप्लोसिव से धमाका कर और बड़ी संख्या में लोगों की जान माल को नुकसान पहुंचाने की ट्रेनिंग पेशावर के टेरर कैंप में दी जाती है. वहां से ट्रेनिंग लेने के बाद से पाकिस्तान से नेपाल के रास्ते यूपी में इंट्री करते हैं और एक बड़ी प्लानिंग के तहत काम करते हैं. सूत्र बताते हैं कि आतंकी संगठन इनकी जरूरतों को पूरा करते हैं लेकिन इन्हें कब इस्तेमाल करना है इसे केवल मोहम्मद मसूद ही जानता है. मसूद को पकडऩे के लिए इंडियन एजेंसीज कई साल से पीछे लगी हैं. बताया जाता है कि मसूद कभी यूपी में नहीं आया लेकिन यूपी के तमाम आतंकी मामलों में उसका हाथ रहा है, उसका नाम प्लानिंग में आता है. मसूद को आतंक की दुनिया में लोग इंजीनियर के नाम से जानते हैं.
10 किलोमीटर की रेडियस में हर संदिग्ध पर नजर
कालिंदी को बर्निंग ट्रेन बनाने का अभी तक भले ही कोई व्यक्ति पुलिस के हत्थे न चढ़ा हो लेकिन पुलिस और इस घटना से जुड़ी तमाम एजेंसियों ने घटनास्थल से 10 किलोमीटर की रेडियस में रहने वाले हर संदिग्ध पर नजर रखनी शुरू कर दी है. बैरियर लगाकर यूपी के बाहर के वाहनों की चेकिंग की जा रही है. पुलिस और एजेंसियों का मानना है कि अभी तक तस्वीरों में जो संदिग्ध दिखे हैं उनकी न तो रेलवे स्टेशन पर फुटेज दिखे हैं और न ही बस स्टेशन पर. शहर के मुख्य चौराहों पर लगे कैमरों की जांच भी कर ली गई है, लेकिन दहशतगर्दों का पता नहीं चल रहा है. इससे साफ है कि दहशतगर्द अभी तक कानपुर में ही मौजूद हैं. एजेसी का मानना है कि वे मामले को पूरी तरह से ठंडे होने का इंतजार कर रहे हैं. मामला ठंडा होने के बाद ही वे जिले को छोड़ सकेंगे. जिले की सीमाएं भी सील कर दी गई हैं.
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रेलवे ट्रैक पर पेट्रोलिंग मजबूत
डीजीपी के आदेश के बाद जिला पुलिस मीटिंग कर अपने अपने इलाकों में ट्रैक पेट्रोलिंग करना शुरू किया है. डीसीपी ईस्ट एसके सिंह ने बताया कि रेलवे पटरियों के आस-पास के संवेदनशील क्षेत्रों में सतर्कता बढ़ाने और संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखने के निर्देश दिए गए. पटरियों के पास रहने वाले लोगों से संपर्क कर उन्हें जागरूक करने और सुरक्षा के प्रति सतर्क रहने को बताया. जिससे आपराधिक घटनाओं को समय रहते रोका जा सके. त्योहारों के दौरान भीड़ नियंत्रण के लिए विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए. किसी भी आपात स्थिति या घटना पर त्वरित प्रतिक्रिया देने और स्थानीय नागरिकों से अच्छा संवाद बनाए रखने के निर्देश दिए गए. सभी जेब्रा पुलिस कर्मियों को जनता से बेहतर संबंध बनाए रखने और उनकी समस्याओं को सुनकर तुरंत कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए. रेलवे ट्रैक के पास रहने वालों को अपने घरों के आस पास कैमरे लगवाने के निर्देश दिए गए हैं.