Onion Exports: सरकार ने प्याज के निर्यात पर बड़ा फैसला लिया है. केंद्र सरकार ने प्याज एक्सपोर्ट के लिए पहले तय की गई मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस (MEP) हटा दी.
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Onion Exports: सरकार ने प्याज के निर्यात पर बड़ा फैसला लिया है. केंद्र सरकार ने प्याज एक्सपोर्ट के लिए पहले तय की गई मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस (MEP) हटा दी. इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्याज की अधिकता के बीच भारतीय किसानों को स्थितियों का फायदा उठाने में मदद मिलेगी. सरकार ने पहले न्यूनतम निर्यात मूल्य के तौर पर 550 डॉलर प्रति टन की सीमा तय की थी. इसका मतलब यह था कि किसान इस दर से कम कीमत पर अपनी उपज विदेश में नहीं बेच सकते थे.
विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने एक अधिसूचना जारी कर तत्काल प्रभाव से न्यूनतम निर्यात मूल्य को हटा दिया. यह कदम महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले उठाया गया है, जो प्याज का प्रमुख उत्पादक राज्य है. इस कदम से प्याज के निर्यात को बढ़ावा मिलने की संभावना है.
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तत्काल प्रभाव से लागू
डीजीएफटी (DGFT) ने अपनी अधिसूचना में कहा, प्याज के निर्यात पर मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस (MEP) की शर्त तत्काल प्रभाव से और अगले आदेश तक हटा दी गई है. चालू वित्त वर्ष 2024-25 में 31 जुलाई 2024 तक कुल 2.60 लाख टन प्याज का निर्यात किया जा चुका है. वित्त वर्ष 2023-24 में भारत ने 17.17 लाख टन प्याज का निर्यात किया.
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प्याज की कीमत 80 रुपये किलो के पार
उपभोक्ता मामलों के विभाग द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, शुक्रवार को प्याज का अखिल भारतीय औसत मूल्य 50.83 रुपये प्रति किलोग्राम था, जबकि मॉडल मूल्य 50 रुपये प्रति किलोग्राम है. प्याज का अधिकतम मूल्य 83 रुपये प्रति किलोग्राम है और न्यूनतम मूल्य 28 रुपये प्रति किलोग्राम है. केंद्र ने 5 सितंबर को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और मुंबई के उपभोक्ताओं को प्याज की बढ़ती कीमतों से राहत देने के लिए 35 रुपये प्रति किलोग्राम की रियायती दर पर प्याज की खुदरा बिक्री का पहला चरण शुरू किया.
राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (NCCF) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED) ने अपने स्टोर और मोबाइल वैन के माध्यम से खुदरा बिक्री शुरू कर दी है. ये सरकार की ओर से 4.7 लाख टन प्याज का बफर स्टॉक बनाए हुए हैं.
पिछले हफ्ते उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने कहा कि आने वाले महीनों में प्याज की उपलब्धता और कीमतों का परिदृश्य, सकारात्मक बना हुआ है. इसका कारण खरीफ (गर्मी) की बुवाई का रकबा पिछले महीने तक 2.9 लाख हेक्टेयर तक बढ़ गया है, जबकि एक साल पहले की अवधि में यह 1.94 लाख हेक्टेयर था. उन्होंने कहा कि इसके अलावा, लगभग 38 लाख टन प्याज का भंडार अभी भी किसानों और व्यापारियों के पास होने की रिपोर्ट है.