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शेयर बाजार

Rice Stocks: चावल कंपनियों के शेयरों में उबाल; एक में अपर सर्किट, बाकियों में भी तगड़ा उछाल

Rice Stocks केंद्र सरकार ने बासमती चावल के नियम पर 950 डॉलर प्रति टन मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस (MEP) का कैप लगा रखा था। इसका मतलब कि चावल कंपनियां बासमती का निर्यात इससे कम कीमत पर नहीं कर सकती हैं। अब सरकार ने MEP हटा लिया है। इससे चावल कंपनियों को निर्यात के मोर्चे पर फायदा मिल सकता है। इससे चावल कंपनियों के शेयरों में तेजी आई है।

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  1. सरकार ने अब MEP को पूरी तरह से खत्म कर दिया है।
  2. इससे बासमती चावल की बढ़ती मांग दिखाई दे रही है।
  3. बासमती की कीमत स्थिर करने में मदद मिल सकती है।

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। चावल कंपनियों के शेयर (Rice Stocks) में सोमवार को जबरदस्त तेजी दिखी। कोहिनूर फूड्स (Kohinoor Foods) में 20 फीसदी का अपर सर्किट लगा। वहीं, चावल के कारोबार से जुड़ी अन्य कंपनियों के शेयरों में भी अच्छी-खासी तेजी देखने को मिली।

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राइस स्टॉक्स में तेजी की वजह

केंद्र सरकार ने बासमती चावल के नियम पर 950 डॉलर प्रति टन मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस (MEP) का कैप लगा रखा था। इसका मतलब कि चावल कंपनियां बासमती का निर्यात इससे कम कीमत पर नहीं कर सकती हैं। अब सरकार ने MEP हटा लिया है। इससे चावल कंपनियों को निर्यात के मोर्चे पर फायदा मिल सकता है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल का कहना है कि इस फैसले से चावल का निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी। साथ ही, किसानों की आमदनी में भी इजाफा होगा। 2022-23 में भारत का बासमती चावल का कुल निर्यात मूल्य के लिहाज से 4.8 अरब डॉलर रहा। वहीं, मात्रा के लिहाज से यह 45.6 लाख टन था।

किन स्टॉक्स में कितनी तेजी?

राइस स्टॉक्स की बात करें, तो सबसे अधिक तेजी कोहिनूर फूड्स (Kohinoor Foods) में दिखी। यह 20 फीसदी के अपर सर्किट के साथ 46.83 रुपये पर बंद हुआ। वहीं, एलटी फूड्स 9.72 फीसदी, केआरबीएल 7.67 फीसदी और चमन लाल सेतिया एक्सपोर्ट्स 5.92 फीसदी उछला।

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सरकार ने अब MEP को पूरी तरह से खत्म कर दिया है। इससे निर्यातकों को बासमती चावल की बढ़ती मांग दिखाई दे रही है। साथ ही, बासमती चावल की कीमतों को स्थिर करने में मदद मिल सकती है। हालांकि, चावल कंपनियों के शेयरों में तेजी पॉजिटिव सेंटिनमेंट की वजह से है। कंपनियों ने पिछली अर्निंग कॉल में ही स्पष्ट कर चुकी हैं कि बासमती चावल के निर्यात के लिए औसत प्राप्ति पहले से ही न्यूनतम निर्यात मूल्य से अधिक है।

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