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आतंकी साजिशों से संकट में भारतीय रेल: यह राजनीति नहीं बल्कि एकजुटता का समय

Railways

12 सितंबर को यानी की ठीक 187 वर्ष पहले साल 1837 में भारतीय रेल की नींव पड़ी थी। मद्रास (अब चेन्नई) में भाप इंजन संचालित ट्रेन चली थी। हालांकि, पहली सवारी गाड़ी साल 1853 में बॉम्बे-ठाणे के बीच चली। तब से लेकर आज तक भारतीय रेल ने सैकड़ों गुणा तरक्की की है। आज भारतीय रेल देश की ‘लाइफ लाइन’ कही जाती है, जिसमें 22 हजार ट्रेनों में पौने तीन करोड़ से अधिक लोग रोजाना सफर करते हैं।

भारतीय रेल देश को उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक जोड़ती है। भारतीयों का अटूट विश्वास अपने रेल नेटवर्क पर है, लेकिन इन दोनों भारतीय रेल अपने इतिहास के सबसे बड़े संकट से गुजर रही है। यह संकट तकनीकी नहीं, बल्कि एक साजिश है। कुछ असामाजिक या कहें आतंकी तत्व भारत की ‘लाइफ लाइन’ को डिरेल करने की खतरनाक साजिश रच रहे हैं।

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भारतीय रेलवे के खिलाफ साजिश 

विगत् 40 दिनों में 18 ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिनमें अलग-अलग राज्यों में रेलवे ट्रैक पर भारी वस्तु रखकर ट्रेनों को डिरेल करने की साजिश हुई। तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, राजस्थान से लेकर ओडिशा तक कई स्थानों पर रेल ट्रैक पर सिलेंडर, भारी सीमेंट स्लैब, लोहा आदि रखा मिला। ऐसी घटनाओं से यह आशंका और गहरी हो जाती है कि पिछले दिनों ट्रेनों के पटरियों से उतरने के पीछे तकनीकी कारण नहीं, बल्कि साजिश थी।

देश में रेल नेटवर्क की बात करें तो 1,32,310 किलोमीटर लंबा रेलवे ट्रैक भारत में बिछा है। यह भारत का दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क बनाता है। इतने विशाल रेल नेटवर्क की सुरक्षा के लिए अलग से फोर्स है, लेकिन एक-एक स्थान की चौकसी करना दुनिया के किसी भी देश के लिए संभव नहीं है।

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बीते कुछ वर्षों में भारतीय रेल ने बहुत तेजी से विकास की रफ्तार पकड़ी है। पिछले 10 वर्षों में 31,000 किलोमीटर का नया ट्रैक बिछाया गया है। केंद्र सरकार के अनुसार वर्तमान में 4 किलोमीटर प्रतिदिन का ट्रैक देश में बिछाया जा रहा है। रेलवे का विद्युतीकरण बहुत तेजी से हो रहा है। 95 प्रतिशत ब्रॉड गेज रूट्स का विद्युतीकरण कर दिया गया है।

देश की अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने में भारतीय रेल की अहम भूमिका है। जब भारतीय रेल इस तेजी से विकास कर रही है तो वो कौन से तत्व हैं? जो इस पर गिद्ध निगाह गड़ाए हुए हैं। कुछ विदेशी एजेंसियों और आतंकी संगठनों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। अपने मंसूबों को पूरा करने के लिए यह असामाजिक और आतंकी तत्व आम भारतीयों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। आए दिन ऐसी घटनाएं होंगी तो जनता के मन में भय आना स्वाभाविक है।

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हालांकि, सरकार अब पहले से ज्यादा सतर्कता बरत रही है। ट्रेनों को बेपटरी करने की घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे ने एआई संचालित 75 लाख सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्णय लिया है। ये सीसीटीवी कैमरे कोच के अलावा लोको पायलट को सतर्क करने के लिए लोकोमोटिव (इंजन) में भी लगाए जाएंगे, जो पटरी पर संदिग्ध वस्तुओं का पता लगाकर ड्राइवर को आपातकालीन ब्रेक लगाने के लिए सचेत करेंगे। कुल मिलाकर रेलवे 40,000 कोच, 14000 लोकोमोटिव और 6000 ईएमयू को एआई संचालित सीसीटीवी कैमरों से लैस करने की योजना बना रही है।

निश्चित रूप से यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वो ट्रेनों को डिरेल करने की साजिश करने वाले आतंकी तत्वों को चिन्हित कर कड़ी सजा दे। हालांकि, इतने बड़े नेटवर्क पर हर एक स्थान पर नजर बनाए रखना सरकार या सुरक्षा एजेंसी के लिए संभव नहीं है। यहां जिम्मेदारी समाज की भी है। रेलवे ट्रैक के आसपास रहे लोगों का दायित्व है कि वो ऐसे तत्वों को लेकर सतर्क रहें।

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अपने बीच ऐसे तत्वों को पहचानें, जो देश की संपत्ति और लोगों को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। ऐसे संकट के समय में राजनीतिक दलों को भी एकजुटता दिखाने की आवश्यकता है। राजनीति से ऊपर उठकर सोचने की जरूरत है। तकनीकी कारणों से दुर्घटनाओं पर सरकार की आलोचना सही है, लेकिन जानबूझकर ट्रेनों को डिरेल करने की साजिश पर विपक्ष का मौन सही नहीं है। आखिर भारतीय रेल किसी सरकार या पार्टी विशेष की न होकर देश की आन-बान-शान है। राष्ट्रीय धरोहर है।

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