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बिहार

तेजस्वी यादव कुछ बड़ा करने वाले हैं ? क्यों बुलाई सांसदों-विधायकों की इमरजेंसी मीटिंग, जानिए पूरी बात

Land For Job Scam : आरजेडी ने अपने सांसदों-विधायकों की गुरुवार को आपात बैठक बुलाई है। बैठक में क्या होगा, यह बात पहले किसी को नहीं बताई गई। लोग अनुमान लगा रहे हैं कि आभार यात्रा का पहला चरण पूरा होने के बाद तेजस्वी यादव किसी बड़े काम की शुरुआत करने वाले हैं। वह काम क्या हो सकता है, आइए जानते हैं।

पटना: लैंड फार जॉब स्कैम में समन की परवाह किए बगैर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने आज (गुरुवार) अपने सांसदों-विधायकों की इमरजेंसी मीटिंग बुलाई है। यह मत समझिए कि दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट से अपने और पारिवारिक सदस्यों के नाम समन जारी होने पर वे बैठक में कोई चर्चा करेंगे। इस पर बातचीत का तो कोई एजेंडा ही नहीं है। जिस तरह से हड़बड़ी में बैठक बुलाई गई है, उससे लगता है कि कि ज्यादातर सांसदों-विधायकों को एजेंडा पता ही नहीं होगा। एक दूसरे से बातचीत में शायद कुछ लोगों को असलियत मालूम हो।

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सीबीआई कोर्ट ने जारी किया है समन

सीबीआई के दिल्ली राउज एवेन्यू कोर्ट में लैंड फार जॉब स्कैम का मामला चल रहा है। मां राबड़ी देवी, पिता लालू प्रसाद यादव और बहनों का नाम तो पहले ही उसमें आ गया था। पूरक चार्जशीट में तेजस्वी यादव का भी नाम भी जुड़ गया है। कोर्ट ने इस आधार पर बुधवार को आठ लोगों के खिलाफ समन भी जारी कर दिया है। पूरक चार्जशीट की एक और खास बात है।

पहली बार तेज प्रताप का नाम शामिल

चार्जशीट में अब तक बेदाग रहे तेज प्रताप का भी नाम आ गया है। हालांकि कोर्ट का सामना तेज प्रताप दूसरी बार करेंगे, लेकिन भ्रष्टाचार का उनके खिलाफ यह पहला मामला है। कोर्ट ने कहा है कि उनकी संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता। इससे पहले तेज प्रताप को अपनी पत्नी के सिलसिले में कोर्ट के चक्कर में फंसना पड़ा है।

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लैंड फार जॉब स्कैम में तेजस्वी उलझे

लैंड फार जॉब स्कैम लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री रहते 2004 से 2009 के दौरान हुआ था। आरोप है कि लोगों से जमीन लेकर उन्हें रेलवे में लालू यादव ने नौकरी दी। बेटे-बेटियों और बीवी इसलिए फंसे हैं कि उस घोटाले के लाभुकों में इनके भी नाम हैं। तेजस्वी ने विदेश दौरे का प्लान बनाया है। इसके लिए उन्होंने कोर्ट से इजाजत भी ले ली है। लेकिन बदली परिस्थितियों में क्या होगा, वे ही जानें।

बेफिक्र तेजस्वी कर रहे हैं अपना काम

आम आदमी के लिए समन, वारंट या नोटिस भले भयावह लगते हैं, पर नेताओं को इससे तनिक फर्क नहीं पड़ता। तेजस्वी यादव तो कहते भी हैं कि बचपन से देखते-देखते अब इसकी आदत पड़ गई है। नेताओं को तो पहले से ऐसे मामलों का अंजाम पता होता है। इसीलिए ये इतने ढीठ होते हैं। वे जानते हैं कि ज्यादा से ज्यादा समय तो जेल-बेल में ही निकल जाएगा। कुछ वक्त निचली, उच्च और सर्वोच्च अदालतों की भागा-दौड़ी में कट जाएगा। विरले सजा हुई भी तो महंगे वकील किस काम आएंगे। लालू यादव सजायाफ्ता हैं, मगर बेल पर बाहर तो हैं। तेजस्वी अगर बेपरवाह दिख रहे हैं तो शायद यही वजह हो।

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तेजस्वी शुरू करेंगे सदस्यता अभियान

हां, तो तेजस्वी ने बैठक इसलिए बुलाई है कि जिन इलाकों के दौरे से वे लौटे हैं, वहां के कार्यकर्ताओं से उन्हें क्या फीडबैक मिला, इस आधार पर वे किसी को हड़काएंगे, कुछ को सुधरने की चेतावनी देंगे। सबसे बड़ा काम इस बैठक में तेजस्वी की महत्वाकांक्षी योजना का होना है। तेजस्वी ने करोड़ से अधिक लोगों को बूथ स्तर तक पहुंच कर आरजेडी के साथ जोड़ने का लक्ष्य तय कर रखा है। यानी ये आरजेडी के रसीदी मेंबर कहलाएंगे। हर किसी से मेंबरी शुल्क 10 रुपए लेना है। आमद के साथ लोगों से सीधा जुड़ाव होगा। भाजपा ने भी राष्ट्रीय स्तर पर सदस्यता अभियान इसी महीने के आरंभ में शुरू किया है। भाजपा का डेढ़ करोड़ सदस्य बनाने का लक्ष्य बिहार को मिला है। सूचना है कि अभी तिहाई तक भी भाजपा नेता नहीं पहुंच पाए हैं। ऐसा किन वजहों से हो रहा, पता नहीं। हालांकि दो ही वजहें दिखती हैं। भाजपा के प्रति लोगों का आकर्षण घटने का यह सूचक है कि भूमि सर्वे के श्रमसाध्य काम में लोगों की व्यवस्तता है।

तेजस्वी के रणनीतिकारों ने दी सलाह

तेजस्वी के रणनीतिकारों ने पहले कारण पर गौर करने की उन्हें सलाह दी है। उन्हें समझाया गया या खुद उन्होंने विश्लेषित किया कि संभव है कि लोग भाजपा से निराश हों। भाजपा से निराशा का मतलब जेडीयू भी लपेटे में। क्यों न इसी बहाने अपनी औकात भी परख ली जाए। संभव है कि अपना ग्राफ अनुमान के मुताबिक ऊंचा दिख जाए। इसलिए तेजस्वी अपने सांसदों-विधायकों से ही सदस्यता अभियान की शुरुआत करेंगे। फिर उन्हें मेंबरी का टार्गेट देकर रवाना कर देंगे। शायद समय सीमा भी तय हो। वैसे भी ये तीन-चार महीने चलने की सूचना है।

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