All for Joomla All for Webmasters
दुनिया

श्रीलंका में बड़ा उलटफेर, राष्ट्रपति चुनाव में अनुरा कुमारा की ‘लाल क्रांति’, चीन के कट्टर समर्थक, भारत का करते हैं विरोध

Sri Lanka presidential result 2024: श्रीलंका के आम चुनावों में अनुरा कुमारा दिसानायके ने धमाकेदार जीत दर्ज की है. वह श्रीलंका के अगले राष्ट्रपति होंगे. निवर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे तीसरे स्थान पर पिछड़ गए हैं. साजिथ प्रेमदासा एक बार फिर मुख्य विपक्षी नेता की भूमिका में दिखेंगे.

Anura Kumara Dissanayake: श्रीलंका के आम चुनावों में निवर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे को वामपंथी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके हाथों बड़े उलटफेर का सामना करना पड़ा है. डेली मिरर में छपी रिपोर्ट के मुताबिक एनपीपी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके को आज राष्ट्रपति के रूप में शपथ दिलाई जा सकती है, अगर चुनाव आयोग द्वारा उन्हें विजेता घोषित करने की अंतिम घोषणा समय पर की जाती है.

ये भी पढ़ें:– आपकी सोच से भी ज्‍यादा शातिर हैं एलन मस्‍क! ट्रंप का खुलकर कर रहे समर्थन, पीछे से कमला संग क्‍या पक रही खिचड़ी?

आज ले सकते हैं शपथ?
एनपीपी महासचिव डॉ. निहाल अबेसिंघे ने डेली मिरर को बताया कि परिणाम जारी करने में देरी के कारण शपथ ग्रहण के समय की पुष्टि नहीं की जा सकती है. उन्होंने कहा, ‘अगर अंतिम घोषणा समय पर की जाती है, तो शपथ ग्रहण आज हो सकता है’

53% वोट
मार्क्सवादी जेवीपी के व्यापक मोर्चे नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके ने रविवार को श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में अपनी बढ़त मजबूत कर ली है. रिपोर्ट के अनुसार दिसानायके ने शुरुआती बढ़त हासिल कर ली है. श्रीलंका के चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार चुनाव में अब तक गिने गए दस लाख वोटों में से उन्होंने लगभग 53% वोट जीते हैं.

ये भी पढ़ें:– हिजबुल्लाह के ठिकानों पर मिसाइलों की बारिश, अमेरिका को बताकर लेबनान में बूम-बूम कर रहा इजरायल

बड़ा उलटफेर
रविवार (22 सितंबर, 2024) को सुबह 7 बजे घोषित कुल मतों की गिनती में, 56 वर्षीय, श्री दिसानायके ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी 57 वर्षीय साजिथ प्रेमदासा के खिलाफ 727,000 वोट या 52% वोट हासिल किए, जो मुख्य विपक्षी नेता हैं, जिन्हें 23% के साथ 333,000 वोट मिले. मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, 75, 235,000 वोटों के साथ 16% से काफी पीछे चल रहे थे. इससे पहले, श्रीलंका के लोग 21 सितंबर, 2024 को अपने अगले राष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए मतदान करने के लिए बाहर निकले, जो 2022 में द्वीप राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद होने वाला पहला चुनाव है।

श्रीलंका में लगा कर्फ्यू
राष्ट्रपति चुनाव के बाद श्रीलंका में कर्फ्यू लगाया गया राष्ट्रपति चुनाव के बाद किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए एहतियात के तौर पर श्रीलंका में आज रात 10 बजे से रविवार सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू लगा दिया गया है. पुलिस ने यह जानकारी दी। राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने एक राजपत्र जारी कर कर्फ्यू आदेश लागू किया. कर्फ्यू की घोषणा ऐसे समय में की गई है जब वोटों की गिनती चल रही है. अभी तक पहले नतीजे घोषित नहीं हुए हैं. एक अधिकारी के अनुसार, राष्ट्रपति चुनाव में मतदान प्रतिशत लगभग 75 प्रतिशत रहने का अनुमान है. चुनाव महानिदेशक समन श्री रत्नायक ने घोषणा की कि राष्ट्रपति चुनाव में मतदान 75 प्रतिशत रहने की उम्मीद है, जो नवंबर 2019 में हुए पिछले राष्ट्रपति चुनाव में दर्ज 83 प्रतिशत मतदान से कम होगा. मतदान स्थानीय समयानुसार सुबह सात बजे से शाम चार बजे तक 22 निर्वाचन जिलों के 13,400 से अधिक मतदान केंद्रों पर हुआ.

ये भी पढ़ें:– बांग्लादेश की तिजोरी खाली, भारतीय कंपनियों का कर्ज चुकाने में फेल; मंडरा रहा आर्थिक संकट

भारत विरोध के लिए जाने जाते थे अनुरा कुमारा दिसानायके 
अनुरा कुमारा दिसानायके वामपंथी पार्टी जनता विमुक्ति पेरामुना (JVP) के नेता हैं. वे NPP गठबंधन से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक JVP पार्टी भारत विरोध के लिए जानी जाती है. 1980 के दशक में भारत ने श्रीलंका में लिट्टे से निपटने के लिए पीस कीपिंग फोर्स को भेजने का फैसला लिया था. तब JVP ने इसका विरोध किया था. श्रीलंका के मार्क्सवादी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) पार्टी ने सोमवार को वादा किया कि अगर वह सप्ताहांत में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में जीत जाती है तो श्रीलंका में अडानी समूह की पवन ऊर्जा परियोजना को रद्द कर देगी.

भारत विरोधी रहे हैं जेवीपी
आपको बता दें कि जेवीपी ने भारत-श्रीलंका शांति समझौते के माध्यम से श्रीलंका के गृह युद्ध में भारत के प्रत्यक्ष हस्तक्षेप के बाद खूनी भारत विरोधी विद्रोह का नेतृत्व किया था. पार्टी को 21 सितंबर को होने वाले चुनाव में भारी जीत भारत के लिए मुश्किल खड़ा कर सकती है. अगर श्रीलंका में वाम विचारधारा का नेता शीर्ष पद पर बैठता है तो इससे भारत के लिए भी चिंताएं बढ़ सकती हैं.

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top