एक तरफ बिहार के कई जिलों में बाढ़ से लोगों का हाल बहाल है। कई गांवों और घरों में पानी घुस गया है। इसको लेकर लोगों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया गया है। उन्हें भोजन से लेकर हर तरह के जरूरी सामान मुहैया कराया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर मौसम विभाग ने फिर टेंशन बढ़ाने वाली भविष्यवाणी की है।
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- पटना में न्यूनतम 29 और अधिकतम 36 डिग्री सेल्सियस रहेगा तापमान
- मुजफ्फरपुर में न्यूनतम 28 और अधिकतम 35 डिग्री सेल्सियस तापमान का अनुमान
जागरण टीम, पटना/मुजफफपुर। बाढ़ से बिहार में कई जगहों पर हाहाकार मचा है। वहीं, मौसम विभाग ने नए पूर्वानुमानों से फिर बिहार वासियों की टेंशन बढ़ सकती है।
राजधानी समेत प्रदेश के अधिसंख्य भागों का मौसम शुष्क बना रहेगा। कई इलाकों में सुबह-शाम आंशिक बादल छाए रहेंगे। अगले तीन दिनों के दौरान अधिकतम तापमान में विशेष परिवर्तन की संभावना नहीं है। दो दिनों बाद अधिसंख्य भागों में छिटपुट वर्षा के आसार है।
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बगहा में भी दो दिन तक बारिश का अनुमान
ग्रामीण कृषि मौसम सेवा व भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा जारी पूर्वानुमान के तहत बताया गया है कि 21 से 25 सितंबर के बीच अगले दो-तीन दिनों तक आसमान में बादल छाए रहेंगे लेकिन मौसम शुष्क रहेगा। उसके बाद कुछ स्थानों पर हल्की वर्षा होने की संभावना है।
कम वर्षा से धान की उपज प्रभावित होने की आशंका
इस बार मानसून के दौरान औसत से कम बारिश हुई है। इस कारण खरीफ फसल में धान की उपज प्रभावित होने की आशंका बढ़ने लगी है। जानकारों का कहना है कि खरीफ की फसल के बेहतर उत्पादन हेतु वर्षा आवश्यक है।
बगहा अनुमंडल के विभिन्न क्षेत्रों में खरीफ की मुख्य फसल धान ही मान कर लोग खेती करते हैं। कृषि विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक बगहा दो प्रखंड में करीब 11 हजार एकड़ में धान की खेती हुई है। इस बार अच्छी वर्षा नहीं होने के कारण धान की उपज बेहतर होने की संभावना कम है।
किसानों के साथ कृषि कर्मी भी अब इस बात को स्वीकार करने लगे हैं कि इस बार बेहतर उत्पादन की उम्मीद कम है।
कृषि समन्वयक राजकुमार जायसवाल व संजय कुमार ने बताया कि औसत प्रति एकड़ 30 क्विंटल धान उपज का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन खेत में फसलों की स्थिति देखकर ऐसा लग रहा है कि उपज प्रभावित हो सकती है।
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हालांकि, विभिन्न कृषि कर्मियों द्वारा किसानों को प्रेरित करते हुए वैकल्पिक सिंचाई के माध्यम से फसल बचाने का उपाय किया गया है। जिसका परिणाम है कि अभी भी किसानों के साथ कर्मियों को भी अच्छी उपज की उम्मीद बनी हुई है।
अगर सितंबर के अंतिम सप्ताह या अक्टूबर के प्रथम सप्ताह के बीच बारिश हुई तो किसानों का फसल व उत्पादन बेहतर होने की संभावना बढ़ जाएगी। लेकिन बारिश नहीं होने की स्थिति में उपज प्रभावित होना स्वाभाविक है।