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खुल गया सालों पुराना राज, लाेग पिंडदान के लिए इसलिए जाते हैं गया जी, जानें गया धाम की अनसुनी कहानी

भारत में पिंडदान के लिए 55 जगहों को बहुत महत्‍वपूर्ण माना गया है। इनमें गयाजी का नाम सबसे पहले आता है। गया में 48 जगहों पर पिंडदान होता है। पर क्‍या आप जानते हैं कि देश में इतनी जगहों के बावजूद भी लोग गयाजी में ही पिंडदान क्‍यों करते हैं। 

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पिंडदान के लिए पूरे भारत में गया जी से अच्‍छी जगह नहीं है। वैसे तो देश में कई जगहों को पिंडदान के लिए महत्‍वपूर्ण माना गया है, लेकिन गयाजी का महत्‍व ज्‍यादा है। लोग अपने पितरों की आत्‍मा की शांति और तर्पण के लिए बिहार के गया को ही चुनते हैं। पर क्‍या आप जानते हैं ऐसा क्‍यों है? दरअसल, पुराणों में लिखा है कि अगर गया जाकर पिंडदान किया जाए, तो पितरों की 21 पीढ़ियां मुक्‍त हो जाती हैं। लेकिन इसके पीछे भी एक दिलचस्‍प कहानी है, जिसके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए। गया धाम की कहानी

गया धाम की कहानी गयासुर नाम के राक्षस से जुड़ी हुई है। जिसने विष्‍णु भगवान की तपस्‍या करके उन्‍हें प्रसन्‍न किया। तपस्‍या पूरी होने पर उसने भगवान से वरदान मांगा कि “मेरा शरीर देवताओं से भी ज्‍यादा पवित्र हो जाए। जो भी मेरे शरीर के दर्शन करे, या स्‍पर्श करे वह पाप मुक्‍त हो जाए”। भगवान विष्‍णु ने गयासुर को ये वरदान दे दिया। इसके बाद हालात बदल गए। लोग जमकर पाप करने लगे ओर बदले में गयासुर के दर्शन कर लेते। ऐसे में यहां पाप बढ़ता गया।

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जब विष्‍णुजी ने यज्ञ करने के लिए मांगी थी पवित्र जगह

जब देवता लोग इससे परेशान हुए, तब वह विष्‍णुजी के पास पहुंचे। भगवान विष्‍णु गयासुर के पास आए और कहा कि “मुझे धरती पर यज्ञ करने के लिए सबसे पवित्र स्‍थान चाहिए। गयासुर ने कहा कि प्रभु मुझसे पवित्र तो और कुछ नहीं है। मैं धरती पर लेट जाता हूं, आप यज्ञ कर लीजिए”। जब गयासुर लेटा, तो उसका शरीर 5 कोस तक फैल गया।

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गया को मिला था ये वरदान

विष्‍णुजी ने यज्ञ शुरू किया और यज्ञ के प्रभाव से गयासुर का शरीर कांपने लगा। तब भगवान विष्‍णु ने वहां एक शिला रखी। जिसे प्रेतशिला वेदी नाम दिया गया। गयासुर के त्‍याग से प्रभावित होकर विष्‍णुजी ने गया को ये वरदान दिया कि जो भी यहां आकर अपने पितरों का पिंडदान करेगा उसके पितरों की 21 पीढ़ियां मुक्‍त हो जाएंगी।

गयाजी में पिंडदान कहां कर सकते हैं

गया में पिंडदान के लिए कई पवित्र जगह हैं। आप फल्‍गुन नदी, विष्‍णुपद मंदिर, अक्षयवट वृक्ष , सीता कुंड, रामशिला वेदी, धर्मारण्‍य वेदी, प्रेतशिला वेदी, कागबली वेदी जैसी जगहों पर पितरों का तर्पण कर सकते हैं।

गया जी में घूमने वाली जगहें

देश दुनिया से पिंडदान करने आए लोग यहां के खूबसूरत पर्यटन स्‍थलों को घूमे बिना नहीं जाते। अगर आप गयाजी आ रहे हैं, तो यहां का महाबोधि मंदिर, रॉयल भूटान मठ, डुंगेश्‍वरी गुफा मंदिर, मंगला गौरी मंदिर, सुजाता स्‍तूप, दुख हरनी मंदिर के दर्शन जरूर करने चाहिए।

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कैसे पहुंच सकते हैं बोधगया

अगर आप प्‍लेन से जाना चाहते हैं, तो नजदीकी एयरपोर्ट गया एयरपोर्ट है। हो सकता है आपको अपने शहर से यहां के लिए सीधी फ्लाइट न मिले, लेकिन वाराणसी और कोलकाता से बोधगया की सीधी फ्लाइट आपको मिल जाएगी। यहां से पिंडदान करने वाली जगहें लगभग 17-18 किमी दूर हैं। ऑटो या टैक्‍सी लेकर आप इन जगहाें पर पहुंच सकते हैं। वहीं ट्रेन से जाने के लिए आपको गया रेलवे जंक्‍शन पर उतरना होगा।

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