वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे के निर्माण में बिहार में जमीन अधिग्रहण को लेकर समस्या आ रही है। रैयत मुआवजे के लिए आवेदन नहीं कर रहे हैं जिससे परियोजना में देरी हो रही है। वैसे यहां असल विवाद मुआवजे की राशि को लेकर है। रैयत पुरानी दर पर मुआवजा नहीं लेना चाहते हैं। सरकार ने जिलाधिकारियों को मामले को जल्द से जल्द सुलझाने का निर्देश दिया है।
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- औरंगाबाद और पूर्वी चंपारण में मुआवजा विवाद से निर्माण में गतिरोध
- हाजीपुर-सुगौली रेल लाइन में रैयतों का विरोध
राज्य ब्यूरो, पटना। सड़क परियोजना से जुड़ा संकट इकतरफा नहीं है। विभाग की सुस्ती तो आसानी से समझ में आ जाती है, लेकिन भारतमाला जैसी महत्वपूर्ण परियोजना के साथ नया संकट यह है कि अधिग्रहीत जमीन के मुआवजा के लिए रैयतों के आवेदन ही नहीं आ रहे हैं। भारतमाला परियोजना (वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे) की राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में की गई समीक्षा के दौरान यह तथ्य सामने आया।
समीक्षा रिपोर्ट केे अनुसार, औरंगाबाद जिले में इस परियोजना में जिन रैयतों की जमीन ली गई है, वे मुआवजा के लिए आवेदन नहीं दे रहे हैं, जबकि कैंप में जिलाधिकारी, जिला भू अर्जन पदाधिकारी, संबंधित नोटरी पंचायत सचिव, सरपंच, अंचलाधिकारी, कर्मचारी सभी उपस्थित रहते हैं। कुटुम्बा मौजा में 80 प्रतिशत जमीन संयुक्त है। साझे में ही अवॉर्ड घोषित किया गया है, लेकिन रैयतों में आपसी सहमति नहीं है।
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वैसे, यहां असल विवाद मुआवजे की राशि को लेकर है। रैयत पुरानी दर पर मुआवजा नहीं लेना चाहते हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान भी यह विषय उठा था। तब सत्तारूढ़ दल के कुछ नेताओं ने बढ़े दर पर मुआवजे के भुगतान का आश्वासन दिया था।
भारतमाला परियोजना चौरमा-बैरगिनिया (पूर्वी चम्पारण) की जमीन के बारे में बताया गया कि अभी रेखांकन भी पूरा नहीं हुआ है। मिसिंग प्लाट के अर्जन के मामले भी लंबित हैं। कुछ प्लॉट के बारे में अंचलाधिकारी ने गलत या अपूर्ण प्रतिवेदन दे दिया है। इस परियोजना के साथ मामला अलग है।
रैयत मुआवजा के लिए आवेदन तो दे रहे हैं, मगर भुगतान की रफ्तार काफी धीमी है। विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने पूर्वी चंपारण के जिला भू अर्जन पदाधिकारी, एनएचएआई के परियोजना निदेशक एवं अंचलाधिकारी को बैठक कर मामले के निष्पादन का आदेश दिया है।
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रैयत कर रहे विरोध
समीक्षा में बताया गया कि हाजीपुर-सुगौली रेल लाइन के लिए जमीन अधिग्रहण में भी रैयतों का विरोध हो रहा है। इस परियोजना के 17. 5 वें किलोमीटर पर रैयतों के मुआवजे को भुगतान नहीं किया गया है। इसके कारण निर्माण में बाधा हो रही है। पूर्वी चंपारण जिला में इस परियोजना के लिए अधिग्रहीत सात एकड़ जमीन का मामला मोतिहारी के अंचलाधिकारी यहां लंबित है। जिला भू अर्जन पदाधिकारी को कहा गया है कि वे अंचलाधिकारी से संपर्क कर जल्द इसका निबटारा करें।