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Karwa Chauth 2024: पहले करवा चौथ पर इसलिए पहनते हैं शादी का जोड़ा, जानें इसका महत्व

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करवा चौथ का पर्व बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए कठिन उपवास का पालन करती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार यह व्रत 20 अक्टूबर को रखा जाएगा। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत (Karwa Chauth 2024) को रखने से जीवन में खुशहाली आती है। इसके साथ ही सौभाग्य में वृद्धि होती है।

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  1. करवा चौथ का पर्व बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
  2. करवा चौथ व्रत चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद तोड़ा जाता हैं।
  3. करवा चौथ व्रत सुहागिन महिलाएं रखती हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। करवा चौथ का पर्व विवाहित महिलाओं के बीच बहुत उत्साह और समर्पण के साथ मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और सूर्योदय से चंद्रोदय तक कठिन उपवास का पालन करती हैं। इसके साथ ही अपने पतियों की सुरक्षा और लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, करवा चौथ हर साल कार्तिक माह में पूर्णिमा के चौथे दिन मनाया जाता है।

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इस बार यह व्रत 20 अक्टूबर को रखा जाएगा, जब यह पर्व (Karwa Chauth 2024) आने वाला है, तो आइए इससे जुड़ी कुछ जरूरी बातों को जानते हैं।

पहले करवा चौथ पर क्यों पहना जाता है शादी का जोड़ा?(Significance of Karwa Chauth)

आपने अक्सर नवविवाहित महिलाओं को अपने पहले करवा चौथ (First Karwa Chauth) पर शादी का जोड़ा पहने हुए देखा होगा, लेकिन इसके पीछे का कारण क्या है? यह बेहद कम लोग जानते हैं। दरअसल, ऐसा माना जाता है कि शादी का जोड़ा साथ फेरे और अन्य विवाह के अनुष्ठान को करते समय बहुत पवित्र हो जाता है। वहीं, जब इस जोड़े को करवा चौथ के दिन दोबारा से पहना जाता है, तो इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है, जिसका शुभ प्रभाव शादीशुदा जिंदगी पर पड़ता है।

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इससे रिश्ते मजबूत होते हैं और वर-वधु के बीच प्यार बढ़ता है। इसके साथ ही दांपत्य जीवन में कभी क्लेश का सामना नहीं करना पड़ता है। ऐसे में नवविवाहित महिलाओं को यह प्रयास करना चाहिए कि पहले करवा चौथ पर शादी का जोड़ा ही धारण करें।

करवा चौथ के मंत्र

1. करकं क्षीरसंपूर्णा तोयपूर्णमयापि वा।

ददामि रत्नसंयुक्तं चिरंजीवतु मे पतिः॥

इति मन्त्रेण करकान्प्रदद्याद्विजसत्तमे।

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2. मम सुख सौभाग्य पुत्र-पौत्रादि सुस्थिर

श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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