डेंगू बुखार एक वायरल बीमारी है जो मच्छरों के काटने से होती है. यह बीमारी भारत समेत दुनियाभर में हर साल लाखों लोगों को प्रभावित करती है. इस साल भी देशभर के कई राज्यों से डेंगू के मामले तेजी सामने आ रहे हैं.
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डेंगू बुखार एक वायरल बीमारी है जो मच्छरों के काटने से होती है. यह बीमारी भारत समेत दुनियाभर में हर साल लाखों लोगों को प्रभावित करती है. इस साल भी देशभर के कई राज्यों से डेंगू के मामले तेजी सामने आ रहे हैं. डेंगू बुखार के लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, मसल्स और जोड़ों में दर्द, त्वचा पर लाल चकत्ते और थकान शामिल हैं. डेंगू के इलाज में खास दवाओं का इस्तेमाल नहीं होता, लेकिन इसके लक्षणों को कम करने के लिए कई बार पेरासिटामोल जैसी दवाइयां दी जाती हैं. हालांकि, कई लोग बिना डॉक्टर की सलाह के डेंगू बुखार में पेरासिटामोल का सेवन करते हैं, जो कि खतरनाक साबित हो सकता है.
पेरासिटामोल एक सामान्य दवा है जो आमतौर पर बुखार और दर्द कम करने के लिए ली जाती है. लेकिन जब बात डेंगू बुखार की होती है, तो इसका इस्तेमाल सावधानी से करना चाहिए. डेंगू बुखार में शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है, और अगर इस दौरान पेरासिटामोल का ज्यादा सेवन किया जाता है, तो यह लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है. इसके अलावा, पेरासिटामोल का ज्यादा सेवन शरीर में गंभीर साइड इफेक्ट्स को जन्म दे सकता है.
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पेरासिटामोल के साइड इफेक्ट्स
लिवर डैमेज: पेरासिटामोल का ज्यादा और अनियंत्रित सेवन लिवर पर बुरा असर डाल सकता है. डेंगू में लिवर पहले से ही प्रभावित हो सकता है, ऐसे में पेरासिटामोल लेने से लिवर की स्थिति और बिगड़ सकती है. लिवर डैमेज की स्थिति में भूख में कमी, पेट दर्द, कमजोरी और उल्टी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.
प्लेटलेट्स की कमी: डेंगू बुखार के दौरान शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है. पेरासिटामोल का ज्यादा सेवन प्लेटलेट्स की संख्या को और घटा सकता है, जिससे रक्तस्राव का खतरा बढ़ सकता है. अगर प्लेटलेट्स की संख्या बहुत कम हो जाती है, तो यह जानलेवा स्थिति पैदा कर सकती है.
किडनी पर प्रभाव: पेरासिटामोल का लगातार सेवन किडनी पर भी बुरा प्रभाव डाल सकता है. लंबे समय तक इसके सेवन से किडनी फेलियर की संभावना बढ़ जाती है. डेंगू के मरीजों को किडनी से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, ऐसे में पेरासिटामोल का ज्यादा उपयोग किडनी को और नुकसान पहुंचा सकता है.
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एलर्जिक रिएक्शन: कुछ लोगों में पेरासिटामोल से एलर्जिक रिएक्शन हो सकता है, जिसके चलते त्वचा पर चकत्ते, खुजली, सांस लेने में कठिनाई और चेहरे या होंठों की सूजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं. यदि डेंगू के दौरान ऐसे लक्षण दिखते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
क्या करें?
डेंगू बुखार के दौरान पेरासिटामोल का सेवन करने से पहले हमेशा डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है. खुद से कोई भी दवा लेना खतरनाक हो सकता है. डेंगू के इलाज के दौरान लक्षणों का इलाज डॉक्टर की देखरेख में ही किया जाना चाहिए. पेरासिटामोल की खुराक को डॉक्टर द्वारा निर्धारित मात्रा में ही लेना चाहिए और समय-समय पर ब्लड टेस्ट कराकर प्लेटलेट्स और लिवर की स्थिति पर नजर रखनी चाहिए.
डेंगू बुखार में सही देखभाल कैसे करें?
डेंगू के दौरान उचित देखभाल और आराम जरूरी है. मरीज को ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ जैसे नारियल पानी, सूप, और नींबू पानी का सेवन करना चाहिए, जिससे शरीर में हाइड्रेशन बनी रहे. इसके अलावा, घर में मच्छरदानी का उपयोग करें और डॉक्टर की सलाह के बिना कोई दवा न लें.