Congestion Tax In Delhi- दिल्ली सरकार शहर में प्रवेश करने वाले वाहनों कंजेशन टैक्स लगाने पर विचार कर रही है. यह कर FASTag के माध्यम से वसूला जाएगा और दोपहिया वाहनों और इलेक्ट्रिक वाहनों को छूट दी जाएगी.
नई दिल्ली. आप भी अगर नोएडा, गुरुग्राम या फिर गाजियाबाद से देश की राजधानी में अपनी गाड़ी लेकर जाते हैं तो आने वाले समय में आपकी जेब पर भार बढ़ सकता है. दरअसल, दिल्ली सरकार पीक आवर्स के दौरान शहर में प्रवेश करने वाले वाहनों पर ‘कंजेशन टैक्स’ लगाने पर विचार कर रही है. सुबह 8 से 10 बजे और शाम 5:30 से 7:30 बजे के बीच 13 प्रमुख प्रवेश बिंदुओं से शहर में दाखिल होने वाले वाहनों से यह टैक्स वसूला जाएगा. इस कदम का उद्देश्य ट्रैफिक जाम और प्रदूषण को नियंत्रित करना है.
सरकार ने इस टैक्स को मैन्युअल रूप से नहीं, बल्कि FASTag के माध्यम से वसूलने की योजना बनाई है, ताकि कोई यातायात बाधित न हो. दोपहिया वाहनों और गैर-प्रदूषणकारी वाहनों, जिनमें इलेक्ट्रिक वाहन (EVs) शामिल हैं, को इस टैक्स से छूट मिलेगी. इस संबंध में प्रस्ताव भी तैयार किया गया है. हालांकि, मोटर वाहन अधिनियम में ऐसे शुल्क का प्रावधान नहीं है, जिससे या तो कानून में संशोधन की आवश्यकता होगी या नए नियम बनाए जाएंगे.
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यहां होगा पैसे का इस्तेमाल
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के मुताबिक, इकट्ठा किए गए कंजेशन टैक्स और जुर्माने की राशि को सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने और सड़कों में सुधार के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. एक अधिकारी ने बताया कि आसपास के राज्यों से दिल्ली में भारी मात्रा में वाहनों का आगमन ट्रैफिक बढ़ा रहा है. इसके कारण वाहनों के ज्यादा समय तक खड़े रहने से वायु प्रदूषण भी बढ़ रहा है. सरकार का कहना है कि FASTag के जरिए कर वसूली पूरी तरह से स्वचालित होगी. RFID रीडर और NPR (नंबर प्लेट पहचान) कैमरों का इस्तेमाल किया जाएगा ताकि वाहन बिना रुके टैक्स का भुगतान कर सकें, जिससे ट्रैफिक जाम की स्थिति न बने.
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2018 में भी बनी थी योजना
दिल्ली की सीमा पर डीएनडी और न्यू अशोक नगर सहित कई जगहों पर ट्रैफिक जाम की समस्या गंभीर है. यह पहली बार नहीं है जब राष्ट्रीय राजधानी में इस तरह के कंजेशन टैक्स का प्रस्ताव लाया गया है. इससे पहले 2018 में भी ऐसी योजनाएं पेश की गई थीं, लेकिन उन्हें लागू नहीं किया जा सका था. 2009 में पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने राजधानी में प्रवेश करने वाले निजी वाहनों पर अतिरिक्त टैक्स लगाने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन यह योजना भी ठंडे बस्ते में चली गई थी.