उत्तराखंड में वृद्धावस्था पेंशन के लिए अब बुजुर्गों को दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। सीएम धामी के निर्देश पर समाज कल्याण विभाग ने पूरे प्रदेश में सर्वे कराया है और 59 वर्ष से अधिक उम्र के 9440 नए बुजुर्गों की पहचान की है। इनमें से सबसे अधिक 2826 बुजुर्ग ऊधम सिंह नगर जिले में मिले हैं। इस पहल से बुजुर्गों को पेंशन का लाभ समय पर मिल सकेगा।
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जागरण संवाददाता, हल्द्वानी। 60 वर्ष की आयु पूरी होने के बाद अक्सर बुजुर्गों को समाज वृद्धा पेंशन के लिए दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते थे। दस्तावेजी प्रक्रिया पूरी होने में समय लगने की वजह से परेशानी का सामना करना पड़ता था। लेकिन सीएम पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर समाज कल्याण विभाग ने पूरे प्रदेश में सर्वे कर साढ़े 59 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों का आंकड़े संग उनकी पूरी जानकारी जुटा ली है।
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ताकि पेंशन के पात्र आयु पूरी होते ही उन्हें लाभ मिलने लगे। राज्य में ऐसे लोगों की संख्या 9440 हैं। ऊधम सिंह नगर में सबसे ज्यादा नए बुजुर्ग मिले हैं। समाज कल्याण समाज के अलग-अलग वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाओं का संचालन करता है। इसमें से एक हैं बुजुर्ग पेंशन है।
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नियमानुसार 60 वर्ष की आयु होने के बाद इसके लिए आवेदन किया जाता है। सत्यापन और दस्तावेजों की जांच के बाद पेंशन मिलने लगती है। इस बार सरकार ने निर्णय लिया था कि राज्य स्थापना दिवस से पर 60 वर्ष की आयु पूरी करने वाले बुजुर्गों को जल्द से जल्द इसका लाभ मिले।
उन्हें कहीं किसी के चक्कर न काटने पड़े। इसलिए कुछ माह पहले ही विभाग सभी जिलों में सत्यापन में जुट गया था। ब्लाक से लेकर निकाय के अधिकारियों तक की मदद ली गई। जिसके बाद पता चला कि साढ़े 59 वर्ष से अधिक के राज्य में 9440 बुजुर्ग हैं। इसमें सबसे अधिक संख्या ऊधम सिंह नगर से 2826 हैं।
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जिला | बुजुर्ग आंकड़ा |
बागेश्वर | 436 |
पौड़ी | 623 |
टिहरी | 577 |
चमोली | 590 |
रुद्रप्रयाग | 153 |
उत्तरकाशी | 671 |
देहरादून | 1011 |
हरिद्वार | 1134 |
नैनीताल | 349 |
अल्मोड़ा | 472 |
पिथौरागढ़ | 394 |
चंपावत | 204 |
ऊधम सिंह नगर | 2826 |
मोक्ष धाम में लकड़ी नहीं मिलने से समस्या
भुजान स्थित मोक्ष धाम पर आसपास के तमाम गांवों से लोग शवदाह को पहुंचते हैं। मोक्ष धाम में अव्यवस्था से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अंतिम संस्कार के लिए भुजान से दो किमी की दूरी तय कर खैरना स्थित लकड़ी टाल को रुख करना पड़ता है।
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मोक्ष धाम में अंत्येष्टि होने तक ग्रामीणों के विश्राम करने तक के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में ग्रामीण अंत्येष्टि तक नदी क्षेत्र में ही इधर-उधर बैठना पड़ता है। ऐसे में सांप, कीड़े-मकौड़े के काटने का खतरा भी बना रहता है।
स्थानीय कुलदीप सिंह खनायत, राम सिंह, विजय सिंह, दीवान सिंह आदि ने मोक्ष धाम में ही लकड़ी उपलब्ध कराने व अन्य व्यवस्थाएं दुरुस्त किए जाने की मांग उठाई है।