सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में वर्क स्ट्रेस एक आम समस्या बन गई है। पिछले कुछ सालों में कई बड़ी कंपनियों के कर्मचारी वर्कहॉलिज्म (workaholism) के शिकार हुए हैं लेकिन सवाल उठता है कि आखिर जरूरत से ज्यादा काम करना इतना नुकसानदायक (signs of workaholism) कैसे हो जाता है कि कई बार लोगों की जान पर बन आती है? आइए जानें।
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- आजकल कई लोग वर्कहॉलिज्म की समस्या से जूझने को मजबूर हैं।
- वर्कहॉलिज्म का फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है।
- लगातार काम करने से नींद की कमी जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आज का युग प्रतिस्पर्धा का युग है। हर कोई आगे निकलने की होड़ में लगा है। इसी होड़ में लोग अक्सर काम के बोझ (Overworking) तले दब जाते हैं। वर्कहॉलिज्म एक ऐसी ही स्थिति है जिसमें व्यक्ति काम को इतना महत्व देता है कि वह अपने जीवन के अन्य पहलुओं जैसे परिवार, दोस्तों, सेहत और बाकी जरूरी चीजों (symptoms of workaholism) को नजरअंदाज कर देता है। यह एक तरह की लत है, जिसमें व्यक्ति को लगातार काम करने की इच्छा महसूस होती है। ऐसे में, नींद की कमी, तनाव और थकान ही नहीं, बल्कि कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याएं भी आपको अपना शिकार बना सकती हैं। आइए इस आर्टिकल में विस्तार से समझते हैं इस बारे में।
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तीन तरह का होता है वर्कहॉलिज्म
वर्कहॉलिज्म एक ऐसी स्थिति है जहां व्यक्ति काम को अपने जीवन का केंद्र बना लेता है। ये व्यक्ति लगातार काम करते रहते हैं और अपनी पर्सनल लाइफ को नजरअंदाज कर देते हैं। विशेषज्ञों ने वर्कहॉलिज्म के तीन प्रमुख प्रकार बताए हैं जो इस समस्या की पहचान करने में मदद करते हैं।
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ओवरकमिटमेंट
इस प्रकार के वर्कहॉलिक व्यक्ति अपने काम के प्रति अत्यधिक समर्पित होते हैं। वे अपना सारा समय और ऊर्जा काम में लगा देते हैं। परिवार, दोस्तों और अन्य गतिविधियों के लिए उनके पास समय नहीं होता है। वे लगातार काम करते रहते हैं और आराम करने का समय नहीं निकालते।
बेसब्री और आतुरता
इस प्रकार के वर्कहॉलिक व्यक्ति हमेशा कुछ नया करने की चाहत में रहते हैं। वे अपने काम से कभी संतुष्ट नहीं होते और हमेशा अधिक से अधिक करने की कोशिश करते हैं। छोटी-मोटी गलतियों पर भी वे बहुत ज्यादा परेशान हो जाते हैं और खुद को दोषी मानते हैं।
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हार्ड वर्क
इस प्रकार के वर्कहॉलिक व्यक्ति हर काम खुद ही करना चाहते हैं। वे दूसरों पर भरोसा नहीं करते और मानते हैं कि केवल वे ही काम को बेहतर तरीके से कर सकते हैं। वे दूसरों को काम सौंपने से कतराते हैं।
मुसीबत बन सकता है जरूरत से ज्यादा काम
वर्कहॉलिक यानी काम के कीड़े की पहचान के लिए एक खास तरीका है जिसे बर्गन वर्क एडिक्शन स्केल कहते हैं। ये इंटरनेट पर आसानी से मिल जाता है और आप इसे करके पता कर सकते हैं कि आप काम के ज्यादा लगे हुए हैं या नहीं। बहुत ज्यादा काम करने से हमारी सेहत खराब हो सकती है और बीमार पड़ सकते हैं, इसलिए हमें काम और आराम के बीच संतुलन बनाना बहुत जरूरी है। काम के घंटे कम करें, काम और निजी जीवन के बीच एक सीमा बनाएं और ध्यान और योग जैसे तरीकों से तनाव कम करें। अगर आपको लगता है कि आप काम के चक्कर में फंस गए हैं तो आप किसी मेंटल स्पेशलिस्ट से भी मदद ले सकते हैं।
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परफेक्ट चाहिए सबकुछ
अगर आप हर काम को बिल्कुल सही करने की कोशिश करते हैं, यानी अगर आप बहुत परफेक्ट बनना चाहते हैं, तो आपका काम के प्रति लगाव इतना बढ़ सकता है कि यह एक समस्या बन जाए। अगर आप हर समय चिंतित रहते हैं कि कहीं कोई गलती न हो जाए, या अगर आप बहुत ज्यादा नियंत्रण करना चाहते हैं, तो भी आप काम में ज्यादा समय बिताने लग सकते हैं। ये सब लक्षण वर्कहॉलिक होने के हो सकते हैं। यानी आप काम के इतने आदी हो जाएंगे कि आपके पास अपने लिए या अपने परिवार के लिए समय नहीं बचेगा।
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असल जिंदगी से दूर
काम का नशा लगने पर लोग अपनी जिंदगी की बाकी चीजों को भूल जाते हैं। जैसे, उन्हें अपने परिवार, दोस्तों और अपने शौक के लिए समय नहीं मिलता। वे हमेशा काम के बारे में सोचते रहते हैं और इससे वे अकेला महसूस करने लगते हैं। ये लोग काम को इतना ज्यादा महत्व देते हैं कि वे अपनी भावनाओं को दबा देते हैं और असली जिंदगी से दूर होते जाते हैं।
पर्सनल लाइफ पर असर
हर कंपनी में काम करने का तरीका अलग होता है। कुछ काम बहुत मुश्किल होते हैं, तो कुछ आसान। लेकिन कई बार कुछ लोगों को बहुत ज्यादा काम करना पड़ता है। जब कोई व्यक्ति लगातार काम करता रहता है और आराम करने का समय नहीं निकाल पाता, तो उसे वर्कहॉलिक कहा जाता है। यानी वह काम के ऐसे जाल में फंस जाता है कि उसे कुछ और करने का समय नहीं मिलता।
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वर्क कल्चर का फर्क
दुनिया के अलग-अलग देशों में काम करने के तरीके और संस्कृति बहुत अलग-अलग हैं। जैसे, जापान में ‘कारोशी’ शब्द का इस्तेमाल होता है, जिसका मतलब है बहुत ज्यादा काम करने की वजह से मौत। वहां लोग इतना ज्यादा काम करते हैं कि कई बार उनकी जान भी चली जाती है। लेकिन अगर हम यूरोप के कुछ देशों की बात करें तो वहां साल में 5 हफ्ते की छुट्टी मिलती है। यानी वहां के लोग काम के साथ-साथ आराम करने और अपने परिवार के साथ समय बिताने के लिए भी काफी समय निकालते हैं। इससे साफ पता चलता है कि काम करने के तरीके और लाइफस्टाइल में कितना बड़ा अंतर हो सकता है।