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Explainer: जेल की कोठरी में नहीं, अपने घर पर मजे से सजा काटेंगे अपराधी? जानिये क्या है ‘वर्चुअल प्रिजन’

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ब्रिटेन की जेलों में कैदियों की बाढ़ आ गई है. ऐसे में इससे निपटने के लिए जल्दी रिहाई से लेकर वर्चुअल प्रिजन तक की व्यवस्था की जा रही है.

जेल का नाम सुनते ही आपके दिमाग में लोहे की जाली वाली अंधेरी कोठरी की तस्वीर उभरती होगी. लेकिन अब अपराधी अपने घर में मजे से सजा काट सकेंगे. यह व्यवस्था ब्रिटेन में जल्द शुरू हो सकती है. ब्रिटेन ‘वर्चुअल प्रिजन’ की व्यवस्था पर विचार कर रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वर्चुअल प्रिजन में अपराधी जेल की बजाय अपने घर पर वर्चुअल लॉक रहेंगे और सजा काट सकते हैं. ब्रिटेन ने यह फैसला जेल में कैदियों की भीड़ से निपटने के लिए किया है. पश्चिमी यूरोप में ब्रिटेन ऐसा देश है, जहां सबसे ज्यादा कैदी हैं. पिछले महीने इंग्लैंड और वेल्स की जेलों में कैदियों की संख्या का नया रिकॉर्ड बना.

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जेल में कैदियों की भीड़ से परेशान ब्रिटेन
इसी साल जुलाई में सत्ता संभालने वाली ब्रिटेन की नई लेबर सरकार ने कहा कि यूके की सभी जेलें कुछ ही हफ्तों में पूरी तरह भर सकती हैं. ऐसे में कैदियों की जल्दी रिहाई के लिए व्यवस्था बनाने की जरूरत है. लॉ मिनिस्टर शबाना महमूद के अनुसार यूके ने इस संकट से निपटने के लिए एक जल्दी रिहाई कार्यक्रम तैयार किया है. साथ ही वर्चुअल प्रिजन की व्यवस्था पर भी गंभीरता से विचार कर रहा है.

क्या है वर्चुअल प्रिजन, कैसे करेगा काम
द टेलीग्राफ यूके की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस कार्यक्रम के तहत यूके की जेलों में बंद अपराधियों को उनकी निर्धारित रिहाई की तारीख से 6 महीने पहले जेल से रिहा किया जा सकता है और वे अपनी बाकी सजा अपने घरों में रहकर पूरी कर सकते हैं. आसान शब्दों में कहें तो कोई कैदी अपनी सजा के आखिरी 6 महीने वर्चुअल प्रिजन में गुजार सकता है. अगर किसी अपराधी को वर्चुअल जेल में भेजा जाता है तो उसे जीपीएस टैग, स्मार्टफोन और दूसरी डिवाइसेज पहननी होगीं. जिससे यह मॉनिटर किया जा सकेगा कि वह ‘वर्चुअल जेल’ में ही रहे और वहां से बाहर न निकले.

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‘वर्चुअल प्रिजन’ में बंद कैदियों को जेल की रूटीन की तरह हर रोज नशा मुक्ति कोर्स में भाग लेने या टास्क के बारे में अफसरों को सूचित करना होगा. वर्चुअल जेलें एक तरीके से होम डिटेंशन कर्फ्यू (एचडीसी) प्रणाली पर आधारित होंगी. Wired के अनुसार, ब्रिटेन में प्रत्येक कैदी पर सालाना 103,000 डॉलर खर्च होता है. रिपोर्ट के मुताबिक वर्चुअल जेलें वास्तविक जेलों की तुलना में बहुत कम खर्चीली होंगी. कैदियों को जो जीपीएस टैग पहनाया जाएगा, उसकी लागत प्रति दिन 9 यूरो के आसपास होगी.

ब्रिटेन किस तरह कैदियों से संकट में
ब्रिटेन के न्याय मंत्रालय द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार सितंबर में ब्रिटेन की जेलों कुल 88,521 लोग बंद थे. यह संख्या प्रति 100,000 जनसंख्या पर लगभग 150 कैदियों के बराबर है. अगर ब्रिटेन की तुलना यूरोप के दूसरे देशों से करें तो फ्रांस, स्पेन और इटली में कैदियों की संख्या 25 प्रतिशत कम है. वहीं, जर्मनी और नीदरलैंड्स में यह आधी से भी कम है.

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ब्रिटेन में हालत ये है कि कई जेलों में एक कैदी के लिए बने सेल में दो कैदी रखे जा रहे हैं. जिस तरीके से संख्या बढ़ रही है, ऐसे में जल्द ही कैदियों को पुलिस सेल में रखना पड़ सकता है. हालांकि 10 सितंबर से प्रारंभिक रिहाई योजना लागू हो गई है. जिसके तहत कोई भी कैदी अपनी सजा का 40 प्रतिशत जेल में बिताने के बाद रिहाई के पात्र हो जाएंगे. ऐसे कैदियों की संख्या कुल कैदियों में करीब 50 प्रतिशत है. रिहा किए गए कैदियों को फिर से अपराध करने या उनकी रिहाई की अन्य शर्तों का उल्लंघन करने पर जेल में वापस भेजा जा सकता है. इसके अलावा चार साल या उससे अधिक की गंभीर हिंसक अपराधों की सजा काट रहे कैदियों को इस योजना से बाहर रखा गया है.

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