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Tax Rules on Gold: धनतेरस, दीवाली में खरीद रहे हैं गोल्ड, तो पहले समझ लें टैक्स से जुड़े नियम

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Income Tax rules on Gold: धनतेरस और दीवाली पर सोना खरीदना शुभ माना जाता है. अगर आप खास मौके पर सोने में पैसा लगाना चाहते हैं तो पहले यहां टैक्स से जुड़े नियमों को समझ लें.

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Gold Investment on Dhanteras: दीवाली का त्योहार बेहद करीब है. 5 दिनों के इस खास त्योहार की शुरूआत धनतेरस से होती है. इस दिन सोना (गोल्ड) खरीदने की परंपरा है. यह परंपरा लंबे समय से चली आ रही है. हालांकि पहले लोग सिर्फ शुभ मानकर धनतेरस पर सोना खरीदते थे, अब ट्रेंड बदल रहा है. लोग अब सोना खरीदते तो हैं, लेकिन उसे निवेश का एक सुरक्षित विकल्प मानकर. इसी वजह से अब सिर्फ निवेश फिजिकल गोल्ड तक सीमित नहीं रह गया. बल्कि फिजिकल गोल्‍ड के अलावा, डिजिटल गोल्ड, पेपर गोल्ड, गोल्‍ड बॉन्‍ड और गोल्‍ड ईटीएफ में भी पैसे लगा रहे हैं. वैसे भी गोल्‍ड निवेश का एक ऐसा विकल्प है, जो लंबी अवधि में आपको स्‍टेबल रिटर्न दे सकता है. इसकी रिटर्न हिस्ट्री देखें तो यह निवेश का एक सुरक्षित विकल्प है.

फिजिकल गोल्ड पर इनकम टैक्स से जुड़े नियम

फिजिकल गोल्ड में पैसा लगाने का मतलब ज्वेलरी, सोने के बिस्कुट, सोने के सिक्के खरीदने से है. वैसे भारत में फिजिकल गोल्ड ही सोने में निवेश का सबसे पॉपुलर विकल्प है. फिजिकल गोल्ड पर लांग टर्म कैपिटल गेंस (LTCG) और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस (STCG) देना होता है.

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36 महीने या उससे अधिक समय तक रखे गए सोने से मिलने वाले रिटर्न को लांग टर्म कैपिटल गेंस कहा जाता है. इनकम टैक्स एक्ट के मुताबिक आपको सोना बेचते समय लांग टर्म कैपिटल गेंस (LTCG) पर 20 फीसदी टैक्स और 4 फीसदी सेस देना होगा. इस तरह से फिजिकल गोल्ड पर लगने वाला टैक्स 20.8 फीसदी है. इस अवधि से कम समय के लिए रखे गए सोने से मिलने वाले रिटर्न को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस कहा जाता है. STCG के मामले में, टैक्स आपकी इनकम टैक्स स्लैब के आधार पर लगाया जाता है.

डिजिटल गोल्ड पर इनकम टैक्स

डिजिटल गोल्ड आप ऑनलाइन खरीद सकते हैं. इसमें फिजिकल गोल्ड की तरह रख रखाव का झंझट नहीं होता है. डिजिटल गोल्ड आपके डिजिटल वॉलेट में रहता है. आप इसकी खरीद-बिक्री भी कर सकते हैं. जरूरत पड़ने पर कुछ एक्स्ट्रा चार्ज देकर डिजिटल गोल्ड को फिजिकल गोल्ड बदल सकते हैं. बात करें इनकम टैक्स नियमों की तो, फिजिकल गोल्ड की तरह डिजिटल गोल्ड पर भी टैक्स नियम लागू हैं.  यानी डिजिटल गोल्ड पर फिजिकल गोल्ड की तरह ही 20.8 फीसदी टैक्स लगेगा. आरबीआई या सेबी जैसे गवर्नमेंट रेगुलेटर के पास निवेश के इस विकल्प को रेगुलेट करने का कोई अधिकार नहीं है.

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पेपर गोल्ड पर इनकम टैक्स

पेपर गोल्ड में गोल्ड म्यूचुअल फंड, ईटीएफ, सॉवरेन बॉन्ड आदि शामिल हैं. ईटीएफ या म्यूचुअल फंड की यूनिट बेचकर आप जो इनकम हासिल करते हैं, उसे आपका कैपिटल गेंस कहा जाता है. भारत में गोल्ड पर टैक्स के नियमों के अनुसार अगर आप 36 महीने बाद यूनिट बेचकर इनकम हासिल करते हैं तो यह लांग टर्म कैपिटल गेंस (LTCG) होता है और इस पर 20.8 फीसदी टैक्स देना पड़ता है. वहीं 3 साल से कम समय तक रखे गए पेपर गोल्ड से मिलने वाले रिटर्न को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस कहा जाता है. STCG के मामले में, टैक्स आपकी इनकम टैक्स स्लैब के आधार पर लगाया जाता है.

गिफ्ट में मिले गोल्ड पर इनकम टैक्स

लोग धनतेरस या दिवाली जैसे खास मौकों पर अपने रिश्तेदारों, दोस्तों और करीबियों को सोना या उससे बने गहने गिफ्ट करते हैं. अगर आपको परिवार के मेंबर या रिश्तेदारों से गिफ्ट या विरासत के रूप में सोना मिल रहा है, तो आप इस पर इनकम टैक्स से छूट पा सकते हैं. इनकम टैक्स एक्ट की धारा 56(2) के अनुसार, माता-पिता, पति-पत्नी या बच्चों को सोने की ज्वेलरी गिफ्ट में देने पर इनकम टैक्स नहीं लगता है.

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अगर आप रिश्तेदारों के अलावा किसी अन्य व्यक्ति से 50,000 रुपये से अधिक वैल्यू का सोना गिफ्ट पाते हैं तो टैक्स देना होता है. ऐसी इनकम टैक्सेबल है क्योंकि इसे अन्य सोर्स से होने वाली इनकम माना जाता है. इसके अलावा, आप अपनी शादी में मिले सोने के गहनों पर भी टैक्स छूट पा सकते हैं. लेकिन अगर आप इन गिफ्ट को बेचना चाहते हैं तो सरकार कैपिटल गेंस की दर के अनुसार टैक्स लगाएगी.

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