Pakistan Crisis- पाकिस्तान गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है और एक बार फिर 1.4 बिलियन डॉलर के ऋण के लिए चीन की ओर रुख किया है. यह ऐसे समय में आया है जब देश बढ़ती मुद्रास्फीति और घटते विदेशी मुद्रा भंडार से जूझ रहा है.
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नई दिल्ली. पाकिस्तान के बुरे दिन बीतने के नाम नहीं ले रहे हैं. सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं आ रही है. इसी वजह से पाकिस्तान को आए दिन दुनिया के देशों के सामने पैसों के लिए गिड़गिड़ाना पड़ता है. अब पाकिस्तान ने एक बार फिर चीन से 10 अरब युआन (1.4 अरब डॉलर) का कर्ज देने का अनुरोध किया है. नकदी संकट से जूझ रहा यह देश पहले ही मौजूदा 30 अरब युआन (4.3 अरब डॉलर) की चीनी व्यापार सुविधा का इस्तेमाल कर चुका है. अब उसने फिर से चीन से मदद की गुहार लगाई है.
पाकिस्तानी वित्त मंत्रालय ने कहा है कि वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने वाशिंगटन में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की वार्षिक बैठकों के दौरान चीन के वित्त उप मंत्री लियाओ मिन से मुलाकात की और उनसे मुद्रा अदला-बदली करार के तहत कर्ज सीमा को 30 अरब युआन से बढ़ाकर 40 अरब युआन करने का अनुरोध किया है.
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चीन पहले अस्वीकार कर चुका है अनुरोध
समाचार पत्र ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट के अनुसार, यदि चीन इसे स्वीकार कर लेता है, तो कुल सुविधा लगभग 5.7 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगी. यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने ऋण सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया है. हालांकि, चीन ने पिछले सभी ऐसे अनुरोधों को अस्वीकार कर दिया था.
यह नवीनतम अनुरोध चीन द्वारा मौजूदा 4.3 अरब डॉलर (30 अरब युआन) की सुविधा को अगले तीन वर्षों के लिए बढ़ाए जाने के दो सप्ताह से भी कम समय बाद आया है. पाकिस्तान और चीन ने चीनी प्रधानमंत्री ली क्विंग की हालिया यात्रा के दौरान एक मुद्रा अदला-बदली समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिससे पाकिस्तान की ऋण भुगतान अवधि 2027 तक बढ़ गई थी.
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कर्ज में डूबा है पाकिस्तान
देश की सरकारी कंपनियों के भारी नुकसान और भ्रष्टाचार ने पाकिस्तान में विकट वित्तीय स्थिति पैदा कर दी है. 2024 में कुल ऋण 71.24 खरब रुपये हो जाएगा. बीते साल पाकिस्तान में अंतरराष्ट्रीय ऋण 62.88 खरब रुपये था। जबकि पाकिस्तान का घरेलू कर्ज 8.35 खरब रुपये बढ़कर 47.160 खरब रुपये हो चुका है.