सुमित शर्मा, कानपुर: उत्तर प्रदेश के कानपुर में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का एक्शन देखने को मिला है। कानपुर की लक्ष्मी कॉटसिन लिमिटेड कंपनी की 32 करोड़ रुपये की 86 संपत्तियों को जब्त कर लिया है। कंपनी ने बैंक ऑफ इंडिया के कंसोर्टियम वाले 23 बैंकों से 7,377 करोड़ रूपए का लोन लेकर हड़प लिया था। लक्ष्मी कॉटसिन कंपनी के संचालकों ने छत्तीसगढ़ के भाटपारा और बलौदा बाजार में 86 कृषि भूमि 32 करोड़ रुपये में खरीदी थी। इसे ईडी लखनऊ के जोनल कार्यालय ने जब्त कर लिया है। ये संपत्तियां, उसके कर्मचारियों और स्थानीय निवासियों के नाम पर खरीदी गई थीं। नई दिल्ली सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के डीजीएम राजीव खुराना ने 1 जून 2021 को कंपनी के खिलाफ शिकायत की थी।
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सीबीआई ने शुरू की थी जांच
इसके बाद सीबीआई ने कंपनी के अध्यक्ष और सह प्रबंधक निदेशक डॉ. माता प्रसाद अग्रवाल और संयुक्त प्रबंधक निदेशक पवन कुमार अग्रवाल, उपप्रबंधक निदेशक देवेश नारायण गुप्ता, अज्ञात लोक सेवकों के खिलाफ 2010 से 2018 की अवधि के दौरान धोखाधड़ी, गबन का मुकदमा दर्ज किया था। इसके बाद ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू की थी।
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बैंक खाते एनपीए घोषित
जांच में सामने आया कि लक्ष्मी कॉटसिन लिमिटेड ने कपड़ों का कारोबार करने के लिए 23 बैंकों के कंसोर्टियम से संपर्क साधा, जिसमें सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया मुख्य था। बैंकों की रकम वापस नहीं होने पर कंपनी के खातों को एनपीए घोषित कर दिया गया। बैंक की फोरेंसिक ऑडिट में पता चला कि कंपनी ने बैंक की रकम हड़पने के लिए फर्जी इंवेट्री रिकॉर्ड बनाए।
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266 करोड़ की संपत्ति हुई नीलाम
एनसीएलटी के आदेश पर कंपनी की 265.44 करोड़ रुपये की संपत्तियों को नीलाम कर दिया गया। जांच में सामने आया कि लक्ष्मी कॉटसिन लिमिटेड के कुछ फंड को इसके अन्य समूह की कंपनी मेसर्स श्री लक्ष्मी पॉवर लिमिटेड में डायवर्ड किया गया। इस फंड को आगे बलौदा बाजार में उनके आईसीआईसीआई बैंक खाते के जरिए अलग-अलग व्यक्तियों को डायवर्ट किया गया। इसके बाद कंपनी के भरोसेमंद कर्मचारियों और स्थानीय आदिवासियों के नाम पर जमीनों को खरीदा गया।