Crude Oil Price: क्रूड की कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है। 1 दिन में कच्चे तेल की कीमतें 2.50 फीसदी तक गिरी है। दरअसल, चीन के अनुमान से कम राहत पैकेज ने भी कच्चे तेल की कीमतों पर दबाव बनाया है। बाजार को चीन से मांग बढ़ने की उम्मीद कम है। ब्रेंट का भाव 72 डॉलर के नीचे फिसला है जबकि WTI का भाव 69 डॉलर के नीचे फिसला है। बता दें कि अमेरिका में ट्रंप की जीत के बाद से अब तक कच्चे तेल की कीमतों में करीब 6 फीसदी की गिरावट आई है। साथ ही डॉलर में तेजी ने भी कीमतों पर दबाव बनाने की काम किया है।
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कच्चे तेल में जारी रहेगी मंदी
इस बीच कच्चे तेल की आगे की चाल पर बात करते हुए एनर्जी एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद चीन को लेकर अमेरिका सख्त रवैया रख सकता है। अगर ऐसा होता है चीन की अर्थव्यवस्था और परेशानी में आ सकती है। जिसके चलते तेल की डिमांड, आयात में कटौती होगी। वहीं बाजार को कहीं ना कहीं यूक्रेन और हमास के मसले को लेकर लगने लगा है कि अब यूक्रेन, हमास-इजरायल में समझौता होने की उम्मीद नजर आ रही है। जिसके चलते आगे कच्चे तेल में मंदी जारी रहेगी।
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नरेंद्र तनेजा ने आगे कहा कि यूएस में क्रूड का उत्पादन बढ़ेगा। फिलहाल तेल की कीमतों में दबाव देखने को मिल सकती है। क्योंकि मांग कम और सप्लाई ज्यादा है। उन्होंने आगे कहा कि डोनाल्ड ट्रंप के आने से चीन में इकोनॉमिक क्राइसिस बढ़ सकता है। कच्चे तेल के दाम 65-70 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकते हैं।
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MOFSL के डायरेक्टर किशोर नार्ने ने कहा कि शॉर्ट टर्म में कमजोरी जारी रह सकता है। उन्होंने आगे कहा कि 5660 रुपये तक कच्चे तेल का भाव जा सकता है। लिहाजा मौजूदा स्तर या 5770 रुपये के आसपास बिकवाली करने की राय होगी।
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