स्विगी के आईपीओ से निवेशकों को भले कोई खास न मिले लेकिन उसके कई कर्मचारियों की चांदी होने वाली है. विशेषकर, उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों को जिनके पास बड़ी मात्रा में ESOP हैं.
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नई दिल्ली. स्विगी के आईपीओ का फायदा भले उसके निवेशकों को न मिले लेकिन कर्मचारियों की चांदी होने वाली है. संभव है कि स्विगी के 500 कर्मचारी करोड़पति बन जाएं. इतना ही नहीं नए-पुराने मिलाकर करीब 5000 कर्मचारियों की शेयरों की लिस्टिंग के बाद तगड़ी कमाई होने की उम्मीद है. दरअसल, जिन कर्मचारियों को कंपनी ने ESOP (Employee stock ownership plan) दिया है उन्हें शेयरों की लिस्टिंग से बड़ा फायदा होने वाला है.
इकोनॉमिक टाइम्स की एक खबर के अनुसार, शेयरों की लिस्टिंग से स्टॉक ऑप्शन के जरिए 9000 करोड़ रुपये की तगड़ी कमाई करने वाले स्विगी के शेयर बुधवार को लिस्ट हो सकते हैं. ग्रे मार्केट में इसका प्रीमियम 2 रुपये चल रहा है. यह इश्यू प्राइस का 1 फीसदी भी नहीं है. यानी खुदरा निवेशकों इससे कोई बहुत फायदा नहीं मिलने वाला है.
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उच्च प्रबंधन के पास ESOP
लेकिन स्विगी के संस्थापकों और शीर्ष प्रबंधन के पास हाल के स्टॉक प्लान से मिले काफी ESOPs हैं. इनमें ग्रुप सीईओ श्रीहर्ष माजेती, सह-संस्थापक नंदन रेड्डी और फणी किशन अडडेपल्ली सहित अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हैं. स्विगी के ESOP लिक्विडेशन का मामला भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में कुछ ही उच्च-प्रोफ़ाइल मामलों में से एक है.
स्विगी का आईपीओ
स्विगी के आईपीओ को मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली है. खुदरा निवेशकों की ओर से इसे 1.14 गुना सब्सक्राइब किया गया, जबकि संस्थागत निवेशकों का ज्यादा रुझान रहा, जिसमें क्यूआईबी हिस्से को छह गुना सब्सक्रिप्शन मिला. 2014 में स्थापित स्विगी ने भारत में 2,00,000 से अधिक रेस्तरां के साथ साझेदारी की है और जोमैटो, अमेज़न, और टाटा बिगबास्केट जैसे प्रतियोगियों से मुकाबला कर रहा है. हालांकि FY2024 में स्विगी को 2,350 करोड़ रुपये का घाटा हुआ, कंपनी में लगातार विकास देखा जा रहा है, जो कि एक अत्यधिक प्रतिस्पर्धी बाजार में भविष्य में संभावित लाभ की ओर संकेत करता है.
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क्या होता है ESOP
ESOP का पूरा नाम Employee Stock Ownership Plan यानी कर्मचारी स्टॉक स्वामित्व योजना है. इसके तहत कंपनियां अपने कर्मचारियों को कंपनी के शेयर (स्टॉक) खरीदने का अवसर देती है. इसका मकसद कर्मचारियों को कंपनी के प्रति जोड़ना और उन्हें कंपनी के लाभ में भागीदार बनाना होता है. कंपनी एक निश्चित संख्या में शेयर कर्मचारियों को कम कीमत पर या बिना किसी कीमत के देती है, लेकिन इन शेयरों को तुरंत नहीं बेचा जा सकता.