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Safest Bank Of India- इन तीन बैंकों को आरबीआई ने माना सबसे सेफ, डूबने का खतरा है न के बराबर

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Safest Bank Of India- भारतीय रिजर्व बैंक ने डोमेस्टिक सिस्टमैटिकली इंपोर्टेंट बैंक्स (D-SIBs) की लिस्‍ट जारी कर दी है. इस सूची में एक सरकारी और दो निजी बैंक शामिल हैं.

नई दिल्‍ली. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) और आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) को एक बार फिर भारतीय रिजर्व बैंक ने डोमेस्टिक सिस्टमैटिकली इंपोर्टेंट बैंक्स (D-SIBs) करार दिया है. आरबीआई ने आज बुधवार, 13 नवंबर को डी-सिब्‍स बैंकों की लिस्‍ट जारी की. पिछले साल भी इन तीनों बैंकों को ही डोमेस्टिक सिस्टमैटिकली इंपोर्टेंट बैंक का दर्जा मिला था. डी सिब्‍स लिस्‍ट में शामिल बैंकों को घरेलू सिस्टम के लिए बहुत अहम माना जाता है. साथ ही इन्‍हें देश के सबसे सुरक्षित बैंक भी माना जाता है. ये ऐसे बैंक होते हैं जो सिस्टम के लिए इतने महत्वपूर्ण होते हैं कि जिनके डूबने पर पूरी अर्थव्‍यवस्‍था को झटका लग सकता है. इस प्रकार के बैंक इतने महत्वपूर्ण हैं कि इन्हें कुछ हुआ तो सरकार खुद इन्हें बचाने की कोशिश करेगी.

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भारतीय रिजर्व बैंक ने डी-सिब्‍स बैंकों की सूची 31 मार्च 2024 तक मिले आंकड़ों के आधार पर तैयार की है. घरेलू सिस्टम के लिए अहम करार दिए गए बैंकों को एडीशनल कॉमन इक्विटी टियर-1 (CET1) मेंटेन करना होता है. इन्‍हें अपने बकेट के हिसाब से अधिक कॉमन इक्विटी टियर 1 को बनाए रखना होता है. यह वह पूंजी है जिसके जरिए जोखिमों का प्रबंधन आसानी से किया जा सकता है. D-SIBs की लिस्ट में शामिल बैंकों को इसे अधिक रखना पड़ता है.

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2014 में लागू हुआ था D-SIBs का कॉन्सेप्ट
भारतीय रिजर्व बैंक ने पहली बार घरेलू सिस्टम के लिए महत्वपूर्ण बैंकों की सूची तैयार करने यानी डी-सिब्‍स की अवधारणा को 10 साल पहले वर्ष 2014 में अपनाया था. 2015 में भारतीय स्‍टेट बैंक और फिर अगले साल वर्ष यानी 2016 में आईसीआईसीआई बैंक को इस सूची में रखा गया. 2017 में एचडीएफसी बैंक की एंट्री इस लिस्‍ट में हुई.

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किस बकेट में है कौन सा बैंक
आरबीआई ने इस बार भारतीय स्‍टेट बैंक को बकेट-4 में रखा है जिसके तहत इसे 0.80 फीसदी अतिरिक्त सीईटी1 मेंटेन करना है. वहीं, एचडीएफसी बैंक भी बकेट 2 में बना हुआ है और इसे 0.40 फीसदी हाई सीईटी1 मेंटेन करना है. आईसीआईसीआई बैंक को बकेट 1 में रखा गया है और इसे सीईटी1 बफर में एडीशनल 0.20 फीसदी बनाए रखना होगा. नए नियम 1 अप्रैल 2025 से लागू होंगे.

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