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Republic Day Parade से दिल्ली फिर बाहर, जानिए कैसे होता 26 जनवरी की झांकियों का सिलेक्शन?

Selection Process of Republic Day Parade Jhanki: 26 जनवरी पर होने वाली परेड में एक बार फिर राजधानी दिल्ली को जगह नहीं मिली है. इसको लेकर सियासत शुरू हो गई है लेकिन हम इस खबर में आपको बताएंगे कि कैसे झांकियों का चुनाव होता है. 

Republic Day Parade 2024: इस साल भी राजपथ पर होने वाली पारंपरिक गणतंत्र दिवस परेड में दिल्ली की झांकी शामिल नहीं होगी. यह चौथी बार होगा जब राष्ट्रीय राजधानी को शामिल नहीं किया जाएगा. ऐसी स्थिति जिसने अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच फिर से जबानी जंग छेड़ दी है. लगभग एक दशक तक दिल्ली सरकार का नेतृत्व करने वाले केजरीवाल ने भाजपा हमला किया और कहा,’पिछले कई सालों से दिल्ली की झांकी को परेड में शामिल नहीं होने दिया जा रहा है. यह कैसी राजनीति है? वे दिल्ली के लोगों से इतनी नफरत क्यों करते हैं? दिल्ली के लोगों को उन्हें वोट क्यों देना चाहिए?’ आरोप प्रत्यारोप तो चलते रहेंगे लेकिन आज हम आपको बताते हैं कि आखिर 26 जनवरी की परेड के लिए किस तरह झांकियों का सलेक्सन होता है. 

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कैसे चुनी जाती है 26 जनवरी परेड की झांकियां

26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड में विभिन्न राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और मंत्रालयों की झांकियों का चयन एक सुनियोजित प्रक्रिया के तहत किया जाता है. यह प्रक्रिया भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के ज़रिए आयोजित की जाती है. इस प्रक्रिया का आगाज राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और विभिन्न मंत्रालयों से झांकियों के प्रस्ताव मांगने से होती है. हर प्रस्ताव में एक थीम या विषय भी दिया जाता है, जो भारतीय संस्कृति, परंपराओं, राष्ट्रीय उपलब्धियों या किसी खास सरकारी पहल पर आधारित होता है. थीम हर साल बदलती रहती है, ताकि झांकियों में नवीनता और विविधता बनी रहे.

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खास कमेटी प्रस्ताव पर करती है गौर

प्रस्ताव हासिल होने के बाद तो एक स्पेशल कमेटि का गठन किया जाता है, जिसमें कलाकार, डिजाइनर, इतिहासकार और सांस्कृतिक विशेषज्ञ शामिल होते हैं. यह कमेटि झांकियों के शुरुआती डिजाइनों और उनके साथ लगने वाले नोट्स की जांच भी करती है. साथ ही यह भी देखा जाता है कि झांकी का डिज़ाइन कितना रचनात्मक है, संदेश कितना असरदार है. वह राष्ट्रीय या सांस्कृतिक महत्व को कितनी अच्छी तरह दिखा पा रही है. 

फाइनल डिजाइन के बाद होता है अभ्यास

इसके बाद कमेटि की तरफ से दिए गए सुझाव के मुताबिक बदलाव करने के बाद एक बार फिर से संशोधित डिज़ाइनों को कमेटि के सामने पेश करना होता है. फाइनल सलेक्शन के लिए 6-7 राउंड की बैठकों में कमिटी 3-डी मॉडल की जांच करती है. इस प्रक्रिया के बाद झांकियों के बनाने का काम शुरू हो जाता है. परेड से पहले, इन झांकियों का कई बार पूर्वाभ्यास किया जाता है ताकि उनकी प्रस्तुति में कोई कमी न रहे और वे उम्मीद के मुताबिक परेड में प्रदर्शन कर पाएं. 

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पुरुस्कार का भी किया जाता ऐलान

गणतंत्र दिवस पर झांकियों की प्रस्तुति के बाद इनाम भी दिए जाते हैं. सभी झांकियों में बेस्ट झांकी भी चुनी जाती है. एक्सपर्ट्स का एक पैनल झांकियों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करता है और अलग-अलग कैटेगरीज में पुरुस्कार दिया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया का मकसद यह यकीनी बनाना है कि परेड में शामिल झांकियां भारत की विविधता, गौरव और सांस्कृतिक समृद्धि को प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत करें.

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