ई-पासपोर्ट पूरी तरह से पेपरलेस डॉक्यूमेंट नहीं होगा क्योंकि वीजा पर स्टांप लगाने जैसा काम जारी रहेगा. इसमें हालांकि जहां भी संभव होगा, वहां कागज के इस्तेमाल को कम किया जाएगा.
इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस (TCS) ने शुक्रवार को कहा कि पासपोर्ट सेवा (Passport Seva) कार्यक्रम के दूसरे फेज के लिए विदेश मंत्रालय ने उसे चुना है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, टीसीएस (TCS) ने एक बयान में कहा कि कार्यक्रम के अगले फेज में कंपनी अभी मिल रही सुविधाओं और सिस्टम पर नए सिरे से काम करेगी.
पासपोर्ट में ये चीजें होंगी और बेहतर
खबर के मुताबिक, कंपनी ई-पासपोर्ट (E-passport) जारी करने के लिए नया तरीका डेवलप करेगी और बायोमैट्रिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, मॉडर्न डेटा एनालिटिक्स, चैटबोट्स, ऑटो-रेस्पांस, प्राकृतिक भाषा प्रक्रिया और क्लाउड जैसी टेक्नोलॉजी की मदद से लोगों के अनुभव को बेहतर बनाएगी.
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टीसीएस महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही
खबर के मुताबिक, पासपोर्ट सेवा कार्यक्रम की शुरुआत 2008 में हुई थी और इसके तहत टीसीएस ने पासपोर्ट से जुड़ी सेवाएं प्रदान करने के तरीके बदले, प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण किया और समयबद्धता, पारदर्शिता और निर्भरता के मामले में वैश्विक मापदंड स्थापित किए. टीसीएस में सार्वजनिक क्षेत्र के व्यापार इकाई प्रमुख तेज भाटला ने कहा कि डिजिटल इंडिया के निर्माण में टीसीएस महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.
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ई-पासपोर्ट पूरी तरह से पेपरलेस डॉक्यूमेंट नहीं होगा
भाटला ने बताया कि हम तकनीक से लैस ई-पासपोर्ट लाएंगे, लेकिन पासपोर्ट (passport) बुकलेट देने या प्रिंट करने जैसे संप्रभु कार्य सरकार के पास जारी रहेंगे. भाटला ने बताया कि यह पूरी तरह से पेपरलेस डॉक्यूमेंट नहीं होगा क्योंकि वीजा पर स्टांप लगाने जैसा काम जारी रहेगा. इसमें हालांकि जहां भी संभव होगा, वहां कागज के इस्तेमाल को कम किया जाएगा. टीसीएस ने सौदे के लिए करार राशि का खुलासा नहीं किया, लेकिन कहा कि यह देश में सबसे बड़ा काम है.