अमेरिका ने भारत को स्पष्ट किया है कि एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली के अधिग्रहण की प्रक्रिया को वह हतोत्साहित करेगा। इसके लिए वह भारत पर लगाए गए प्रेसिडेंशियल ला काटसा (सीएएटीएसए) को हटाने की मांग के संबंध में अहम भू-रणनीतिक सुझावों पर विचार करेगा।
वाशिंगटन, प्रेट्र: अमेरिका ने भारत को स्पष्ट किया है कि एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली के अधिग्रहण की प्रक्रिया को वह हतोत्साहित करेगा। इसके लिए वह भारत पर लगाए गए प्रेसिडेंशियल ला काटसा (सीएएटीएसए) को हटाने की मांग के संबंध में अहम भू-रणनीतिक सुझावों पर विचार करेगा। लेकिन अब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रतिबंधों के लिए संयोजक के नामिनी जेम्स ओ ब्रायन ने कहा कि बाइडन प्रशासन ने अब तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह भारत पर एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने के लिए ‘काउंटरिंग अमेरिका एडवाइजरी थ्रू सैंक्शंस एक्ट (काटसा)’ के तहत प्रतिबंध लगाएगा या नहीं।
साल 2018 में हुआ था सौदा
उन्होंने कहा कि अगर तुर्की के साथ अमेरिकी अनुभव किसी चेतावनी या सबक के रूप में होगा तो भारत के साथ भी वही प्रक्रिया अपनाई जाएगी। तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्रतिबंध की धमकियों के बावजूद भारत ने वर्ष 2018 में रूस के साथ पांच अरब डालर का रक्षा सौदा किया था। इसके तहत एस-400 एयर डिफेंस मिसाइलों की पांच यूनिटें भारत को मिलनी हैं।
रूस भेज चुका है पहली खेप
गौरतलब है कि पिछले साल 21 दिसंबर को भारत को रूस ने एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की पहली खेप भेज दी है। जो किसी भी तरह के हवाई हमलों से निपटने में सक्षम है। एस-400 को दुनिया के सबसे आधुनिक हथियारों में गिना जाता है। ये मिसाइल दुश्मन के लड़ाकू विमानों, ड्रोन, मिसाइलों और यहां तक कि छिपे हुए विमानों को भी मारने में सक्षम है। इसकी मदद से रडार में पकड़ में न आने वाले विमानों को भी मार गिराया जा सकता है। एस-400 के लांचर से तीन सेकेंड में दो मिसाइलें छोड़ी जा सकती हैं।