World Cancer Day 2022 सबसे आम कैंसर स्तन फेफड़े कोलनरेक्टम और प्रोस्टेट हैं। कैंसर से होने वाली लगभग एक तिहाई मौतें तंबाकू के सेवन उच्च बॉडी मास इंडेक्स शराब का सेवन कम फल और सब्जियों का सेवन और शारीरिक गतिविधि की कमी के कारण होती हैं।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। World Cancer Day 2022: लोगों को कैंसर के बारे में जागरुक करने और इस जानलेवा बीमारी से होने वाले मृत्यु के आंकड़ों को कम करने के लिए हर साल 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2020 में करीब एक करोड़ लोगों ने कैंसर की वजह से अपनी जान गंवाई। सबसे आम कैंसर स्तन, फेफड़े, कोलनरेक्टम और प्रोस्टेट हैं। कैंसर से होने वाली लगभग एक तिहाई मौतें तंबाकू के सेवन, उच्च बॉडी मास इंडेक्स, शराब का सेवन, कम फल और सब्जियों का सेवन और शारीरिक गतिविधि की कमी के कारण होती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में तीन तरह के कैंसर सबसे ज़्यादा देखे जाते हैं। इसमें मुंह, बच्चेदानी और स्तन कैंसर प्रमुख हैं।
कैंसर के प्रमुख कारण
तंबाकू खाना, शराब और सिगरेट पीना, इन्फेक्शन, मोटापा, सूरज की अल्ट्रा वायलेट किरणें इसके कारण हैं।
कैंसर के लक्षण
वज़न कम होना, बुखार, हड्डियों में दर्द, खांसी, मुंह से खून आना, शरीर में किसी स्थान पर गांठ होना, महिलाओं में माहवारी का बार-बार अनियमित होना, मुंह में छाले होना।
कैंसर से जुड़े मिथक और फैक्ट्स
मिथक: कैंसर का कोई इलाज नहीं है।
फैक्ट: कैंसर का इलाज है और अगर पहले स्टेज में इसका पता चल जाए तो पूरी तरह स्वस्थ होने की संभावना बढ़ जाती है।
मिथक: कैंसर छूने से फैलता है।
फैक्ट: कैंसर छूने से फैलने वाली बीमारी नहीं है। ये एक इंसान से दूसरे इंसान को नहीं लगती। ऐसा सिर्फ ऑरगन या फिर टिशू ट्रांसप्लांट के केस में ही मुमकिन है।
मिथक: अगर मेरे परिवार में कभी किसी को कैंसर नहीं हुआ है तो इसका मतलब है कि मुझे भी नहीं होगा।
फैक्ट: अधिकांश कैंसर एक व्यक्ति के जीवनकाल में हुए आनुवंशिक परिवर्तन की वजह से होते हैं। धूम्रपान, ड्रिंकिंग, हानिकारक विकिरण के संपर्क में आना, कैंसर के आम कारण हैं।
मिथक: डिओडरेंट लगाने से ब्रेस्ट कैंसर होता है।
फैक्ट: अभी यह साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं मिला है कि डिओडरेंट्स स्तन कैंसर का कारण बन सकता है।
मिथक: जितना ज़्यादा चीनी का सेवन होगा उतना ही ख़तरनाक रूप लेगा कैंसर।
फैक्ट: ऐसा बिल्कुल नहीं है। कैंसर सेल्स के अलावा शरीर के अन्य सेल्स भी ताकत के लिए ग्लूकोज़ का ही इस्तेमाल करते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि ज़्यादा ग्लूकोज़ या शुगर लेने से कैंसर सेल्स को ज़्यादा एनर्जी मिलने लगती है या वे तेज़ी से बढ़ने लगते हैं। कैंसर रिसर्च यूके के मुताबिक, अभी तक ऐसी कोई स्टडी या प्रमाण सामने नहीं आया है, जिसमें कहा गया हो कि शुगर फ्री डाइट से कैंसर का जोखिम कम हो सकता है।