शिवसेना के मुख्यपत्र सामना में पीएम मोदी के स्पीच को लेकर निशाना साधा गया है. सामना में गोवा, हिजाब, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर घेरने की कोशिश की गई है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संसद में दिए गए स्पीच को लेकर शिवसेना ने उनपर निशाना साधा है. शिवसेना के मुख्यपत्र सामना में कई मुद्दों को लेकर निशाना साधा गया है और कहा गया है कि उन्होंने संसद के मंच से अपनी पार्टी का प्रचार अपने भाषण में किया है. साथ ही सामना में गोवा और हिजाब जैसे मुद्दों पर भी उन्हें घेरने की कोशिश की गई हैं. सामना में बताया गया है कि संसद में उनके मंत्री ने जानकारी दी है, “पिछले दो वर्ष में गरीबी और आर्थिक तंगी से परेशान होकर 25 हजार लोगों ने आत्महत्या कर ली. यह सरकारी आंकड़ा है, वास्तविक आंकड़ा लाखों में हो सकता है. प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में इन मसलों का कोई जिक्र नहीं किया. नए साढ़े चार करोड़ बेरोजगार निर्माण हुए हैं और इससे असंतोष भड़क सकता है. देश के प्रधानमंत्री को भाषण कैसे देना चाहिए ? भाषण निष्पक्ष होना चाहिए.
पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए आगे लिखा गया है, “पीएम मोदी ने पहली बार संसद में कदम रखा तो संसद की सीढ़ियों पर माथा टेका था. आज सात वर्ष से वहीं संसद और लोकतंत्र आंसू बहा रहा है. इतनी अराजकता फैलाई गई है. संसद और उसके बाहर सार्वजनिक मंचों से पंडित नेहरू, गांधी और कांग्रेस पर बेलगाम बोलना अर्थात राज करना नहीं है. उत्तर प्रदेश का चुनाव कठिन लग रहा है इसलिए कर्नाटक में ‘ हिजाब को लेकर दंगे भड़काए जा रहे हैं. हिजाब दंगा भड़काने, हिंदू-मुस्लिमों की भावनाओं को भड़काने विषय नहीं होता. लेकिन हिंदू, मुसलमान, हिंदुस्तान-पाकिस्तान का खेल खेले बिना ये लोग चुनाव नहीं लड़ सकते.
कांग्रेस पर हमला को लेकर भी सामना में पीएम मोदी पर निशाना साधा गया है. शिवसेना के मुख्यपत्र में कहा गया है, ” सात वर्ष में हमने क्या किया. यह बताने लायक नहीं है. इसलिए कांग्रेस ने कुछ नहीं किया ऐसा कहना पड़ रहा है. गोवा का चुनाव महत्वपूर्ण उदाहरण है. नेहरू नहीं होते तो गोवा 1947 में ही स्वतंत्र हो गया होता ऐसा मोदी-शाह का कहना है. गोवा पुर्तगालियों के चंगुल से विलंब से छूटा. इसका ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ा. ठीक है लेकिन महाराष्ट्र और बिहार से स्वतंत्रता सेनानी का जत्था गोवा पहुंचा उसमें संघ परिवार के कितने लोग सीने पर गोलियां झेलने लिए आगे आए थे.
शिवसेना के मुख्यपत्र सामना में मंगेशकर परिवार के नाम पर भी पीएम मोदी को निशाने पर लिया गया. सामना मे लिखा है, “गोवा में चुनाव हैं इसलिए उन्होंने मंगेशकर परिवार और गोवा के सगे-संबंधियों के बारे में कुछ जानकारी दी. लता मंगेशकर के भाई पंडित हृदयनाथ मंगेशकर आकाशवाणी में नौकरी करते थे. वहां नौकरी में रहते समय पंडित जी ने वीर सावरकर के कुछ गीतों को गति दी इसलिए उन्हें नौकरी गंवानी पड़ी. ऐसा ठप्पा मोदी ने लगाया ये बिल्कुल सही नहीं है. पंडित जी आकाशवाणी में कभी नौकरी करते थे इसका रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है. मंगेशकर ने अपनी किसी भी आत्मकथा में इस विषय का उल्लेख नहीं किया है.”