अमेरिका का थाड मिसाइल डिफेंस सिस्टम बैलिस्टिक मिसाइलों के साथ-साथ दुश्मनों के लड़ाकू विमान और हेलीकाप्टरों को मार गिराने में सक्षम है। भारत के पास भी रूस के एस-400 मिसाइल सिस्टम है। आइए जानते हैं कि थाड और एस-400 की तुलनात्मक क्षमता क्या है।
नई दिल्ली, जेएनएन। रूस और यूक्रेन में जारी तनाव अब युद्ध की कगार पर पहुंच गया है। यूक्रेन के समर्थन में कूदे नाटो और अमेरिका की घेराबंदी को देखते हुए रूस ने भी काला सागर में जंगी जहाजों की तैनाती को बढ़ा दिया है। रूस ने जंग की तैयारी के मद्देनजर सीमा पर एस-400 मिसाइल सिस्टम की तैनाती की है। रूस की इस तैयारी के बाद यूक्रेन ने भी अमेरिका के टर्मिनल हाई एल्टिट्यूड एरिया डिफेंस (थाड मिसाइल सिस्टम) को तैनात करने की मांग की है। अमेरिका का थाड मिसाइल डिफेंस सिस्टम बैलिस्टिक मिसाइलों के साथ-साथ दुश्मनों के लड़ाकू विमान और हेलीकाप्टरों को मार गिराने में सक्षम है। भारत के पास भी रूस के एस-400 मिसाइल सिस्टम है। आइए जानते हैं कि थाड और एस-400 की तुलनात्मक क्षमता क्या है? आखिर जंग के मैदान में कौन रहेगा किस पर भारी?
अमेरिका के थाड मिसाइल सिस्टम
1- अमेरिका के थाड मिसाइल सिस्टम की तुलना रूसी एस-400 से की जाती है। थाड मिसाइल सिस्टम को एंटी बैलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराने के लिए डिजाइन किया गया है। इस सिस्टम को लाकहीड मार्टिन ने 1987 में विकसित किया था। 1991 में खाड़ी युद्ध के दौरान इराक के स्कड मिसाइल हमलों से सबक लेते हुए इस सिस्टम को बनाया गया था। इस सिस्टम में शामिल मिसाइलों में सिंगल स्टेज राकेट इंजन का इस्तेमाल किया जाता है। इसके उलट एस-400 डिफेंस सिस्टम में मल्टीलेयर मिसाइलें शामिल होती हैं।
2- थाड के मिसाइलों की रफ्तार 10000 किमी प्रति घंटा है। यह सिस्टम हिट टू किल तकनीक पर काम करता है, मतलब यह मिसाइलों को रोकने और भटकाने की जगह उन्हें बर्बाद कर देता है। यह मिसाइलों को उनकी उड़ान के शुरुआती दौर में ही गिराने में सक्षम है। यह दावा किया जाता है कि थाड सिस्टम 200 किलोमीटर की दूरी और 150 किलोमीटर की ऊंचाई तक मिसाइलों को नष्ट करने में सक्षम है।
3- थाड मिसाइल रक्षा प्रणाली में उन्नत रडार सिस्टम है। यह किसी दुश्मन देश की सैन्य गतिविधियों पर नजर रखने में सक्षम है। अमेरिका जापान और दक्षिण कोरिया में अपने कई सैन्य ठिकानों के माध्यम से पूर्वी एशिया क्षेत्र में मौजूद है जिसको लेकर चीन चिंतित है। पूर्वी एशिया के कुछ पर्यवेक्षकों के अनुसार, चीन का मानना है कि अमेरिका दक्षिण कोरिया और जापान पर अपना प्रभाव कायम कर रहा है। अमेरिका पूर्वी एशिया में चीन के दीर्घकालिक सैन्य, राजनयिक और आर्थिक हितों पर हस्तक्षेप कर सकता है।
1- एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम को दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार माना जाता है। यह दुश्मन के हवाई हमलों को नाकाम करने में पूरी तरह से सक्षम है। यह मिसाइल सिस्टम एयरक्राफ्ट, क्रूज मिसाइल और यहां तक कि परमाणु मिसाइल को भी 400 किलोमीटर पहले ही नष्ट करने में सक्षम है। इसका पूरा नाम एस-400 ट्रायम्फ है। इसे नाटो देशों में SA-21 ग्रोलर के नाम से जाना जाता है। रूस द्वारा विकसित यह मिसाइल सिस्टम जमीन से हवा में मार करने में सक्षम है।
2- एस-400 मिसाइल भारतीय सेना में शामिल होने के बाद किसी भी देश की सीमाओं की सुरक्षा अधिक और हमले का खतरा कम हो जाता है। यह सिस्टम किसी भी संभावित हवाई हमले का पता पहले ही लगा लेता है। एस-400 मिसाइल सिस्टम अत्याधुनिक रडारों से लैस है। इसमें लगा हुआ अत्याधुनिक रडार 600 किलोमीटर की दूरी तक लक्ष्य को देख सकता है। सैटेलाइट से कनेक्ट रहने की वजह से जरूरी सिग्नल और जानकारियां तुरंत मिलती हैं।
3- एस- 400 सिस्टम अत्याधुनिक रडार से लैस है। सैटेलाइट से कनेक्ट रहने की वजह से जरूरी सिग्नल और जानकारियां तुरंत मिलती हैं। इसके अत्याधुनिक रडार दुश्मन का पता लगाते ही अपने कंट्रोल कमांड को सिग्नल भेजते हैं। इसमें टारगेट की दूरी, उसकी स्पीड समेत सभी जरूरी सूचनाएं शामिल होती हैं। इसके बाद कमांड कंट्रोल की तरफ से मिसाइल लान्च का आदेश दिया जाता है। इसे अमेरिका के थाड (टर्मिनल हाई एल्टिट्यूड एरिया डिफेंस) सिस्टम से बेहतर माना जाता है।
4- यह मिसाइल सिस्टम एक साथ 36 लक्ष्यों पर निशाना लगा सकता है। इसे पांच मिनट के अंदर तैनात किया जा सकता है। इसकी कुछ बड़ी खासियतों में से एक इसको आसानी से ले जाना और तैनात करना भी है। इसमें चार अलग-अलग रेंज में अचूक निशाना साधने वाली मिसाइल हैं। इनमें 40N6E और 48N6 मिसाइल करीब 400 और 250 किमी की दूरी में निशाना लगा सकती है, जबकि 9M96E2 और 9M96E मिसाइल 120 और 40 किमी के दायरे में दुश्मन को ढेर कर सकती है।