त्यागी ने कहा कि NSE का मामला साल 2010-2015 के बीच हुई घटनाओं से जुड़ा है और सेबी ने उनके नेतृत्व में पूरी गंभीरता के साथ जांच शुरू की.
सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) के पूर्व अध्यक्ष अजय त्यागी ने बुधवार को कहा कि बाजार नियामक सेबी ने NSE मामले में अपने अधिकार क्षेत्र के दायरे में रहते हुए और अपनी समझ के अनुसार काम किया है. इसके साथ ही, उन्होंने इस मामले में आदेशों को ‘‘कमजोर’’ किए जाने की बात से इनकार किया है. सेबी के अध्यक्ष के तौर पर अजय त्यागी का पांच साल का कार्यकाल 28 फरवरी को खत्म हो गया. उनकी जगह में अब सेबी की पूर्व सदस्य माधबी पुरी बुच को अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. अजय त्यागी ने आगे कहा कि अन्य लॉ इन्फोर्समेंट एजेंसियां भी इस मामले की जांच कर रही हैं.
अन्य एजेंसियों की जांच का भी इंतजार करना चाहिए : अजय त्यागी
त्यागी ने कहा, ‘‘अब तक जो तथ्य और निष्कर्ष पब्लिक डोमेन में हैं, वे सेबी की खोजबीन पर आधारित हैं जिनका उसने अपने आदेश में खुलासा किया था. हमें अन्य एजेंसियों की जांच का भी इंतजार करना चाहिए.’’ उन्होंने कहा कि सेबी अन्य एजेंसियों के साथ सहयोग कर रहा है और उनके द्वारा मांगी जाने वाली जानकारी भी उपलब्ध करवा रहा है.
दायरे में रहकर किया काम
माधवी पुरी बुच को कार्यभार सौंपने के बाद त्यागी ने कहा कि NSE का मामला 2010-2015 के बीच हुई घटनाओं से जुड़ा है और सेबी ने उनके नेतृत्व में पूरी गंभीरता के साथ जांच शुरू की. त्यागी ने कहा, ‘‘हमने अपने कार्यक्षेत्र के दायरे में रहते हुए और अपनी समझ के अनुसार आदेश दिए. यह नहीं कहा जा सकता कि नियामक ने आदेशों को कमजोर किया.’’
क्या है मामला
बता दें कि सेबी ने कुछ समय पहले यह खुलासा किया था कि NSE की पूर्व एमडी और सीईओ चित्रा रामकृष्ण एक हिमालयी योगी बाबा के कहने पर फैसले लेतीं थीं. सेबी का कहना है कि हिमालयी योगी के कहने पर चित्रा रामकृष्ण ने आनंद सुब्रमण्यम को एक्सचेंज में ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर और मैनेजिंग डायरेक्टर का सलाहकार नियुक्ति किया था.