झारखंड हाईकोर्ट ने गैर अनुसूचित जिलों में संस्कृत शिक्षकों की नियुक्ति करने का अंतिम मौका दिया है। दो सप्ताह के अंदर नियुक्ति नहीं की गयी, तो कार्मिक और शिक्षा सचिव पर अवमानना की कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी। जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत ने शुक्रवार को कविता कुमारी एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान कार्मिक सचिव और शिक्षा सचिव ऑनलाइन हाजिर हुए। अदालत ने कहा कि इस मामले अदालत ने गैर अनुसूचित जिलों में नियुक्ति करने पर रोक नहीं लगायी है। सुप्रीम कोर्ट ने भी नियुक्ति करने की छूट दी है। बावजूद इसके सरकार कोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रही है।
कोर्ट ने कहा है कि दोनों अधिकारियों ने आदेश की अवमानना की है, लेकिन उन्हें अंतिम अवसर दिया जा रहा है। यदि दो सप्ताह में नियुक्ति नहीं की गयी तो दोनों अधिकारियों पर अवमानना की कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी। अदालत ने सरकार को 25 मार्च तक इस मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से कहा गया कि वर्ष 2016 में कई विषयों में हाई स्कूल शिक्षकों नियुक्ति निकाली गई थी। जेएसएससी ने संस्कृत के शिक्षकों की नियुक्ति की अनुशंसा वर्ष 2018 में की गई। देवघर सहित दो जिलों में संस्कृत शिक्षकों की नियुक्ति कर दी गई। लेकिन बाकी नौ जिलों में कोर्ट के आदेश के बाद भी नियुक्ति नहीं की गई है। जबकि इतिहास और नागरिक शास्त्र के शिक्षकों की नियुक्ति कर दी गई, जबकि उनकी बाद में अनुशंसा की गई थी।
पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने कार्मिक सचिव और शिक्षा सचिव को अदालत में उपस्थित होने का आदेश दिया था। लेकिन उनकी ओर से विधानसभा सत्र प्रारंभ होने का हवाला देकर कोर्ट में उपस्थिति से छूट मांगी थी। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई थी। अब सरकार को हर हाल में 25 मार्च तक कोर्ट को जवाब देना पड़ेगा।