इसके मुताबिक वित्त वर्ष 2018-19 में देश के बैंकिंग सेक्टर में कुल 42259.5 करोड़ रुपये के फ्राड हुए थे जो वर्ष 2020-21 में घटकर 14953.3 करोड़ रुपये रह गए। इस अवधि में बैंकों से लोन लेने के मामले में फ्राड में भारी कमी हुई है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकारी क्षेत्र के बैंकों द्वारा फंसे कर्जे (एनपीए) को बट्टा खाते में डालने का मुद्दा समय-समय पर पूरे जोर-शोर से उठता रहा है। सरकार ने मंगलवार को संसद में बताया है कि पिछले तीन वित्त वर्षों (वित्त वर्ष 2018-19 से वर्ष 2020-21) के दौरान जितनी राशि बट्टा खाते में डाली गई हैं, उसका करीब 50 प्रतिशत बैंकों ने वसूलने में भी सफलता हासिल की है। इन तीन वर्षों में कुल 4.89 लाख करोड़ रुपे की राशि बट्टा खाते में डाली गई जबकि इस मद में वसूली गई राशि 2.44 लाख करोड़ रुपये रही है।
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संसद में वित्त मंत्रालय की तरफ से इस बारे में दी गई जानकारी एनपीए प्रबंधन को लेकर बैंकों के स्तर पर हो रहे प्रयासों और आरबीआइ की सख्ती की गवाही देते हैं।राज्यसभा में एक लिखित प्रश्न के जवाब में वित्त मंत्रालय ने बताया कि वित्त वर्ष 2018-19 में 1,83,392 करोड़ रुपये, 2019-20 में 1,75, 876 करोड़ रुपये और 2020-21 में 1,31,894 करोड़ रुपये की राशि बट्टा खाते में डाली गई। बट्टा खाते में बैंक उस राशि को डालते हैं जिसकी वसूली की संभावना बेहद कम हो जाती है और जिस राशि के लिए बैंकिंग नियमों के अनुसार प्रविधान किए जा चुके होते हैं।
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हालांकि इसका यह मतलब नहीं है कि बट्टा खाते में डाली गई राशि की वसूली की कोशिश नहीं होती है। वित्त मंत्रालय ने बताया कि बट्टा खाता मद से बैंक वित्त वर्ष 2018-19 में 1.02 लाख करोड़ रुपये, 2019-20 में 84,000 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2020-21 में 58,000 करोड़ रुपये वसूलने में सफल रहे हैं।वित्त मंत्रालय ने बैंकिंग फ्राड को लेकर भी कुछ रोचक आंकड़े दिए हैं जो बैंकों के स्तर पर बढ़ रही चुस्ती को बताते हैं। इसके मुताबिक वित्त वर्ष 2018-19 में देश के बैंकिंग सेक्टर में कुल 42,259.5 करोड़ रुपये के फ्राड हुए थे जो वर्ष 2020-21 में घटकर 14,953.3 करोड़ रुपये रह गए। इस अवधि में बैंकों से लोन लेने के मामले में फ्राड में भारी कमी हुई है।