यूक्रेन और रूस के बीच युद्धविराम को लेकर चल रही बातचीत तथा चीन में फिर से बढ़ते कोरोना मामले के कारण लॉकडाउन की आशंका के बीच तेल की डिमांड में कमी आने के डर से अंतराष्ट्रीय तेल की कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है।
न्यूयॉर्क, रॉयटर। तेल की कीमतें मंगलवार को 6% से अधिक गिरकर लगभग तीन सप्ताह में अपने सबसे निचले स्तर पर आ गईं। ऐसा तब हुआ जब रूस ने सुझाव दिया है कि वह ईरान परमाणु समझौते को आगे बढ़ाने की अनुमति देगा। इसके अलावा व्यापारियों को चिंता है कि चीन में बढ़ती कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन लगा तो यह तेल की डिमांड में सेंध लगा सकती है।
फरवरी के अंत के बाद पहली बार ब्रेंट और यूएस क्रूड फ्यूचर्स बेंचमार्क 100 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आए हैं। 7 मार्च को 14 साल के उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद से ब्रेंट लगभग 40 डॉलर और WTI 30 डॉलर से अधिक गिरा है। दो सप्ताह से अधिक समय पहले रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद से व्यापार बेहद अस्थिर रहा है।
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सत्र के दौरान ब्रेंट फ्यूचर्स 6.99 डॉलर या 6.5% गिरकर 99.91 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। वहीं, यूएस वेस्ट टेक्सस इंटरमीडिएट (WTI) क्रूड 6.57 डॉलर या 6.4% गिरकर 96.44 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। 25 फरवरी के बाद से ब्रेंट सबसे कम 97.44 डॉलर तक पहुंचा और डब्ल्यूटीआई 93.53 डॉलर पर पहुंचा।
तकनीकी चार्ट पर दोनों अनुबंध दिसंबर के बाद से ओवरसोल्ड क्षेत्र के सबसे करीब पहुंच गए। यह मार्च की शुरुआत के दौरान अधिक खरीद की स्थिति में थे। इस दौरान ब्रेंट एक समय 139 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर पहुंच गया था।
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रूस कच्चे तेल और ईंधन का दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक है। कई खरीदारों ने यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद से रूस से तेल लेने पर आपत्ति जताई, जिससे लाखों बैरल दैनिक कच्चे तेल की आपूर्ति में व्यवधान की आशंका पैदा हो गई थी। यह डर अब खत्म होता दिख रहा है।
यूक्रेन और रूस के बीच युद्धविराम को लेकर चल रही बातचीत ने लोगों की चिंताओं को कम किया है। आगामी बिकवाली ने कीमतों को कम किया लेकिन कई लोगों को अस्थिरता जारी रहने की उम्मीद है।